अखिलेश यादव के दावों की जांच करने में जुटा चुनाव आयोग

लखनऊ, समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और चुनाव आयोग के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कुछ दिन पहले ही हलफमानों को लेकर अखिलेश ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाया था। अब आयोग ने इसकी जांच शुरू कर दी है।
अखिलेश यादव के शपथ पत्रों के दावे को नकारते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि आयोग को उत्तर प्रदेश या यादव से कोई हलफनामा नहीं मिला है। इस बीच अब आयोग ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में मतदाता सूची में अनियमितताओं के बारे में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव की शिकायत की जांच शुरू कर दी है।
शिकायत के बाद, निर्वाचन आयोग ने जिलाधिकारियों को मतदाता सूचियों की जांच करने का निर्देश दिया ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या कथित तौर पर गलत तरीके से नाम हटाए गए हैं। कासगंज, जौनपुर, बाराबंकी और लखनऊ के जिलाधिकारियों ने अपनी जांच पूरी कर ली है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में यादव के दावों को निराधार और भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि रविवार (17 अगस्त) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने कहा था कि आयोग को उत्तर प्रदेश या यादव की तरफ से कोई हलफनामा नहीं मिला है। सीईसी के बयान का जवाब देते हुए, सपा प्रमुख ने सोमवार को संसद परिसर में मीडियाकर्मियों को हलफनामे की प्रतियां वितरित कीं थी।
अखिलेश यादव ने कहा, “ भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) में हलफनामे दायर किए गए हैं, जिनमें 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाने और अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है।”
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग से नोटिस मिलने के बाद उन्हें दी गई समय सीमा के भीतर लगभग 18 हजार हलफनामे तैयार करके जमा कर दिए गए थे। यादव के अनुसार, ये हलफनामे अमापुर, बख्शी का तालाब, जौनपुर सदर और कुर्सी जैसे निर्वाचन क्षेत्रों में विसंगतियों से संबंधित थे।
उन्होंने कहा कि इनमें मतदाताओं के नाम हटाने के मामले दर्ज हैं, जो, उनके अनुसार, कुछ समुदायों के खिलाफ लक्षित तरीके से किए गए थे।





