नई दिल्ली, समाजवादी पार्टी में जारी उठापठक कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है पहले यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आज दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात करने वाले थे लेकिन खबर है कि उन्होंने अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया है । मुलायम सिंह ने भी शिवपाल के साथ चुनाव आयोग से मुलाकात कर पार्टी के सिंबल साइकिल पर अपना दावा ठोंका ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प हो गया है कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कदम उठाता है।
विशेषज्ञों की माने तो अगर दोनों गुटों में सुलह नहीं हुई तो आयोग इस पर फैसला सुरक्षित रखते हुए सिंबल फ्रीज कर देगा और दोनों गुटों को अलग अलग सिंबल दे देगा। रामगोपाल यादव ने सपा के दोनों खेमों के बीच किसी सुलह की संभावना से इनकार किया है और कहा कि चार-छह लोगों ने नेताजी को गुमराह किया कि उन्हें 200 विधायकों का समर्थन हासिल है, उनके रुख का अब पर्दाफाश हो गया है।
इससे पहले लखनऊ में मुलायम ने सुलह के सवाल पर कहा कि जब विवाद ही नहीं तो समझौता कैसा। इससे पहले कल लखनऊ में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव ने जोर दिया कि वह अब भी पार्टी के अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही उन्होंने अखिलेश यादव खेमे द्वारा आयोजित उस अधिवेशन की वैधता पर सवाल किए जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पार्टी का नया अध्यक्ष घोषित किया गया था। इससे पहले पार्टी पर नियंत्रण को लेकर पिछले कुछ दिनों से जारी संघर्ष के बीच मुलायम ने संवाददाताओं से कहा था, मैं समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं और अखिलेश यादव (सिर्फ) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। शिवपाल यादव अब भी सपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हैं।
इस मामले में अमर सिंह ने दावा किया कि रामगोपाल द्वारा बुलाया गया सम्मेलन फर्जी था क्योंकि सिर्फ पार्टी के निर्वाचित अध्यक्ष ही आपात स्थिति में सम्मेलन बुलाने के लिए अधिकृत हैं। क्या कोई इस बात पर विवाद कर सकता है कि मुलायम अब भी सपा के एकमात्र निर्वाचित अध्यक्ष हैं। अखिलेश और उनके समर्थक पार्टी में पारिवारिक विवाद के लिए अमर सिंह पर दोषारोपण करते रहे हैं। अमर सिंह ने दावा किया कि अखिलेश के समर्थक विधायकों के हस्ताक्षरों का कोई मूल्य नहीं है क्योंकि चार जनवरी को आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद वे वास्तव में विधायक नहीं रह गए हैं।उन्होंने कहा कि जिन प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं, उनमें से अधिकतर की नियुक्ति एक जनवरी के बाद हुयी है। इससे पहले साइकिल चुनाव चिह्न पर अपना दावा पुख्ता करने की कोशिश के तहत अखिलेश यादव गुट ने आज पार्टी के जन प्रतिनिधियों एवं पदाधिकारियों के हस्ताक्षर वाले हलफनामे चुनाव आयोग को सौंपे थे। इसमें दावा किया गया कि 229 में 200 से अधिक विधायकों, 68 विधान परिषद सदस्यों में से 56 विधान परिषद सदस्यों, सहित 90 प्रतिशत जनप्रतिनिधियों और प्रतिनिधियों का हस्ताक्षर है। उन्होंने दावा किया 1.5 लाख पन्नों के इन कागजातों में 200 से अधिक विधायकों, 68 विधान परिषद सदस्यों में से 56 विधान परिषद सदस्यों, 24 सांसदों में से 15 सांसदों तथा 5000 प्रतिनिधियों में से अखिलेश समर्थक करीब 4600 प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने दस्तावेज सौंपने के बाद कहा, 90 फीसदी जन प्रतिनिधि एवं प्रतिनिधि अखिलेश यादव के साथ हैं, अतएव यह बिल्कुल साफ है कि हम असली सपा हैं.. हमें साइकिल चुनाव चिह्न दिया जाना चाहिए और असली सपा समझा जाना चाहिए।