नई दिल्ली , यूपी को विकास की ओर ले जा रहे युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लेखक बन गए हैं। यह सुनकर आप को थोड़ा आश्चर्य जरूर होगा लेकिन यह बात सत्य है। सीएम ने अपनी रैलियों, समारोहों और कार्यक्रमों के दौरान दिए गए भाषणों और पत्रकारों से बातचीत को एक किताब में पिरो दिया है। अखिलेश के प्रगतिशील विकास की परिभाषा इस किताब में एक साथ देखने और पढ़ने को मिलेगी। इस किताब के लेखक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हैं जबकि श्रृंखला संपादक राजेंद्र चौधरी हैं। इस किताब की श्रृंखला को राजकमल प्रकाशन इसे छाप रहा है और इसकी कीमत 595 रुपये रखी गई है। जबकि किताब का नाम ‘परिवर्तन की आहट’ है इसका पहला भाग छापा जा रहा है।
यूपी में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी, बसपा और सपा ने जनता को अपनी तरफ लुभाने के लिए इस बार नया फंडा तैयार किया है। इस फंडे के तहत लोगों के मत हासिल करने के लिए सभी पार्टियां साहित्य बांटती नजर आ रही हैं। बीजेपी परिवर्तन यात्रा के साथ परिवर्तन पर केंद्रित साहित्य बांट रही है तो बसपा सुप्रीमो मायावती अपने भाषणों का साहित्य बसपा कार्यकर्ताओं के जरिए मतदाताओं के बीच भेज रही हैं। यही नहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ‘परिवर्तन की आहट’ सुनाई देने वाली है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इसमें ‘शायरी की खूबियों’ पर भी बोले हैं तो उन्होंने ‘भरोसे की सियासत’ को भी इसमें प्रमुखता दी है। कन्नौज के मुद्दे को उठाकर वह अपनी पत्नी और कन्नौज की सांसद डिंपल यादव के लिए कदमताल करते नजर आते हैं, तो जनेश्वर मिश्र की जयंती के बहाने रिश्तों को भी जीते हैं।
‘समाजसेवा के फरिश्ते’ और ‘सबसे पहले जनसेवा’ जैसे कुछ विषय यह बताने के लिए हैं कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकताएं क्या हैं। प्रकाशक ने यमुना एक्सप्रेस-वे का विषय भी रखा है और खास बात यह भी है कि इस पुस्तक के जरिये मुख्यमंत्री समाधान के मार्ग दिखाते नजर आते हैं। ‘हज का सफर’ मुस्लिम समाज से उनके प्रेम को दर्शाता है।
सूत्रों के मुताबिक यह किताब जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी। इस पुस्तक के श्रृंखला संपादक प्रदेश सरकार के मंत्री राजेन्द्र चौधरी हैं जबकि हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने इसकी प्रस्तावना लिखी है। करीब सवा दो सौ पृष्ठों की इस किताब में ‘लोकतंत्र के मूल्य’ शीर्षक से चार पृष्ठ का पहला आलेख है। फिर परिवर्तन की ताकत, इलाज में समाजवाद, महानता के संस्कार, युवा जोश-युवा सोच, क्यों मजबूर हो रहें मजदूर, कन्नौज के मुद्दे, सफलता की कुंजी, बिजली का मसला, कल्पना की दुनिया, हज का सफर, सुव्यवस्था से खुशहाली, वक्त की उड़ानें, शिक्षा, उम्मीदें और हकीकत, उम्मीदों का दायित्व समेत कुल 34 शीर्षकों से उनके भाषण दिए गये हैं। बिजली संकट और समाधान पर मुख्यमंत्री के विचार हैं तो ‘पर्यावरण की रक्षा’ और ‘तरक्की की छलांग’ भी इससे अछूती नहीं रही है।