जौनपुर, उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) की अगुवाई वाले विपक्षी गठबंधन के घटक दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने गठबंधन के भविष्य के बारे में कहा, “सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से ‘तलाक’ मिलने के बाद 2024 के बारे में सोचेंगे।”
राजभर ने बुधवार को जौनपुर में संवाददाताओं से बातचीत में अखिलेश पर हमलावर रुख बरकरार रखते हुए उन्हें नसीहत भी दे डाली कि उप्र में सपा सरकार के कामों पर वे एक बार नजर डाल लें। लखनऊ से गाजीपुर जाने के दौरान रास्ते में यहां कुछ देर रुकने पर राजभर ने अखिलेश से तल्खी के सवाल पर कहा कि अखिलेश यादव बंद एसी कमरों में बैठ कर सियासत कर रहे हैं। कमोबेश, कांग्रेस भी एसी कमरों से सियासत करती थी। आज कांग्रेस का हश्र यह हुआ कि उसके दो विधायक बचे हैं जबकि बसपा का मात्र एक विधायक है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं और उनकी पार्टी के कार्यकर्ता क्षेत्र में घूम-घूम कर वोट मांग रहे हैं, जबकि दूसरा व्यक्ति (अखिलेश यादव) बंद एसी कमरे में बैठकर केवल ट्वीट कर वोट मांग रहा है। ऐसे में कोई वोट देने वाला नहीं है।
राज्य मंत्री दिनेश खटीक के इस्तीफे को लेकर अखिलेश यादव की आेर से ‘कभी कभी बुलडोजर उलटा चलने’ की टिप्पणी के बारे में राजभर ने उन्हें नसीहत दी कि सपा अध्यक्ष को अपना कार्यकाल याद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकसभा उपचुनाव के प्रचार के दौरान आजमगढ़ में जनता लगातार उनसे इस बात की शिकायत कर रही थी कि सपा के कार्यकाल में यहां पर त्राहिमाम मचा हुआ था।
राजभर ने कहा, “मुझे लोगों ने बताया कि नेता जी को किस आधार पर वोट दें। पहले रंगदारी मांगी जाती थी, गुंडे आकर टैक्स ले जाते थे। जमीन पर कब्जा आम बात थी। इस समय कम से कम राहत तो है, इस कारण सपा को वोट नहीं देंगे। ऐसे में दूसरों पर सवाल उठाने से पहले उन्हें खुद को भी देखना चाहिए।”
सुभासपा और सपा के रिश्तों में आयी तल्खी के बाद गठबंधन के भविष्य को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में राजभर ने कहा, “हम खुद अखिलेश यादव से तलाक नहीं ले सकते हैं। पहले अखिलेश से तलाक मिल जाए तब 2024 के बारे में सोचेंगे।”
राष्ट्रपति चुनाव में राजग की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को वोट देने की वजह स्पष्ट करते हुए राजभर ने कहा कि ना तो यशवंत सिन्हा ने और ना ही अखिलेश यादव ने उनसे वोट देने की अपील की, जबकि मुर्मू और उन्हें खड़ा करने वाले लोगों ने उनसे सुभासपा के वोट मांगे थे।
उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव ने ना तो उन्हें सिन्हा के साथ घटक दलों के नेताओं की बैठक में बुलाया और ना ही रात्रिभोज के लिए बुलाया। ऐसी स्थिति में मैंने पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ते हुए द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट किया।” आटा, लईया और चना सहित रोजमर्रा की तमाम वस्तुओं पर जीएसटी लागू होने के सवाल पर राजभर ने कहा कि जमीन पर लोगों को मुद्दे नहीं दिख रहे हैं। आजादी के 75 साल के बाद भी 60 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनके दरवाजे पर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंच पाती हैं। ये ऐसे लोग हैं जिनके यहां शिक्षा और रोजगार तक उपलब्ध नहीं हो पाया है। 70 साल से वोट दे रहे हैं लेकिन उनको लाभ नहीं नजर आ रहा है। ऐसे में उनको पांच किलो राशन ही अच्छा नजर आ रहा है।