अखिलेश सरकार ने अब रिटायर्ड बुजुर्गों की दिक्कतें कम कर दी हैं. प्रदेश में एक अप्रैल से ई-पेंशन स्कीम शुरू की जा रही है इससे सरकारी महकमों की बाबूगीरी की तानाशाही खत्म हो जाएगी.बुलंदशहर के वरिष्ठ कोषाधिकारी आत्मप्रकाश वाजपेयी ने बताया कि सेवा से रिटायरमेंट के बाद पेंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खाना अब बंद हो जाएगा. सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अफसरों के लिए प्रदेश की अखिलेश सरकार 1 अप्रैल 2016 से ई-पेंशन सिस्टम लागू कर रही है.
इस स्कीम के लागू होते ही बाबुओं को तय समय में बुजुर्गों की पेंशन की फाइल निपटानी होगी. ये जिम्मेदारी हर सरकारी विभाग के अधिकारी को दी जा रही है. रिटायर होने वाले कर्मचारी या अधिकारी का पूरा डेटा ई-पेंशन के जरिये लखनऊ तक पहुंचेगा और उसकी सेवानिवृत्ति से पहले उसे पेंशन देना सुनिश्चित किया जाएगा. अखिलेश सरकार के निर्देश पर आज प्रदेश के हर जिले में पहली बार पेंशन-डे का आयोजन किया गया. ई-पेंशन की ये स्कीम इतनी प्रभावी होगी कि पूरे प्रोसेस में होने वाली आपत्तियां या निराकरण की पूरी जानकारी मेल के जरिये संबंधित अफसरों के अलावा आवेदक को भी दी जाएगी.
डिजिटल सिग्नेचर करने वाले अफसर की ये जिम्मेदारी होगी कि आवेदक के रिटायर होने के अगले महीने की पहली तारीख तक उसकी पेंशन उसके खाते में पहुंचनी चाहिए. सरकार के इस कदम से बुजुर्गों को दफ्तर-दफ्तर चक्कर काटने से मुक्ति मिलेगी और बाबुओं की रिश्वतखोरी पर लगाम लग सकेगी. जाहिर है अगर ऐसा हुआ तो विभाग की मुश्किलें तो कम होंगी ही. पेंशन प्रक्रिया में आने वाली पारदर्शिता का फायदा पेंशनर्स के अलावा सरकार की छवि सुधारने में भी मदद करेगा.जिंदगी भर सरकारी महकमों में सेवा करने वाले मुलाजिम और अफसरों को अपनी पेंशन पाने में किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है यह किसी से छुपा नहीं है,