जौनपुर , देश दुनिया में सनातन धर्म के अनुयायी बुधवार से अगले 15 दिन अपने पूर्वजों को श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनसे सुख समृद्धि का आशीष मांगेंगे।
ज्योतिषाचार्य पंडित रमेश चन्द्र शुक्ल ने मंगलवार को कहा कि आश्विन के कृष्ण पक्ष में पूर्वजों के पूजन का पर्व पितृ पक्ष 18 सितंबर से शुरू होगा। पितृ पक्ष में लोग तर्पण कर पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के साथ ही पितृ ऋण से मुक्ति की प्रार्थना कर रहे हैं। पूर्वजों का पूजन भी तिथि के अनुसार किया जाता है, इसी दिन तर्पण और श्राद्ध करना चाहिये। कुछ लोग सभी दिवसों में पितृ को जल देने की मान्यता का निर्वहन करते हैं।
श्री शुक्ल के मुताबिक बुधवार 18 सितंबर को प्रथम श्राद्ध है। इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाएगा जिनका प्रथमा के दिन निधन हुआ रहता है। उन्होंने कहा कि 19 सितम्बर को द्वितीया है, इस दिन द्वितीया का श्राद्ध लोग करेंगे। उन्होंने कहा कि तर्पण और श्राद्ध मध्याह्न में करना चाहिए इस समय ही पूर्वज आते हैं ऐसी मान्यता शास्त्रों में है उन्होंने कहा कि पूर्वजो को पितृपक्ष में श्रध्दा से किया गया। श्राध्द का फल परिवारीजनों को मिलता है ।
उन्होंने कहा कि इस बार 02 अक्टूबर को पितृ विसर्जन पड़ रहा है और उसे दिन सभी लोग जिनके पूर्वजों मृत्यु का समय नहीं मालूम है वे लोग भी अपने पूर्वजों को श्रद्धा के साथ श्राद्ध कर सकते हैं और करते हैं।
मान्यता है कि हमारे पूर्वज पितृ पक्ष शुरू होते ही हर रोज पृथ्वी पर आ जाते हैं और सूर्यास्त तक इस प्रतीक्षा में रहते हैं कि हमारे कुल खानदान का कोई न कोई व्यक्ति मुझे कुछ न कुछ खाने-पीने अथवा पूजा पाठ की सामग्री अवश्य अर्पित करेगा। सूर्यास्त के पूर्व तक वे प्रतीक्षा करते हैं, जिन लोगों के घरों से पूर्वजों को कुछ न कुछ मिल जाता है, वह तो आशीर्वाद देकर चले जाते हैं और जिन लोगों के घरों से कुछ नहीं मिलता तो पूर्वज पहले रोते हैं और इस आंसू को पीकर इस प्रत्याशा के साथ वापस जाते हैं कि हो सकता है कि कल मेरे खानदान के लोग मुझे कुछ जरूर अर्पित करेंगे, इतने पर भी पूर्वज अपने खानदान वालों की भलाई ही चाहते हैं उन्हें श्राप नहीं देते। इस समय जिले में गया जाने वालों की लाइन लगी हुई है लोग अपने पूर्वजों को तर्पण करने व पिंडदान देने के लिए जा रहे हैं और वहां पर विधि विधान से श्रद्धा के साथ श्राद्ध करके वापस भी आएंगे।