नयी दिल्ली, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि तेजी से बदलती परिस्थितियाें में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में महारत हासिल करना बेहद जरूरी है और सैन्य प्रशिक्षण केन्द्र सैनिकों को इससे लैस करने में महत्वपूर्ण भूमिका रहे हैं।
रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि श्री सिंह ने मध्य प्रदेश के महू में आर्मी वॉर कॉलेज में अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, “ आज के लगातार विकसित होते समय में प्रौद्योगिकियों में महारत हासिल करना समय की मांग है, और सैन्य प्रशिक्षण केंद्र हमारे सैनिकों को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सुसज्जित और तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।” युद्ध के तरीकों में आ रहे आमूलचूल परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि सूचना युद्ध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित युद्ध, छद्म युद्ध, विद्युत-चुंबकीय युद्ध, अंतरिक्ष युद्ध और साइबर हमले जैसे गैर परंपरागत तरीके आज के समय में बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। रक्षा मंत्री ने ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए सेना को अच्छी तरह से प्रशिक्षित और सुसज्जित रहने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि महू प्रशिक्षण केन्द्र इन प्रयासों में बहुमूल्य योगदान दे रहा है।
उन्होंने बदलते समय के साथ प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में लगातार सुधार करने और कर्मियों को हर तरह की चुनौती के लिए लड़ने के लिए तैयार करने के लिए केंद्रों की सराहना की। श्री सिंह ने सरकार के 2047 तक देश को विकसित बनाने के विजन पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान दौर को संक्रमण काल बताया। उन्होंने कहा कि भारत निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर है और तेजी से विनिर्माण हब के रूप में उभर रहा है। सैन्य दृष्टि से हम आधुनिक हथियारों से लैस हो रहे हैं। हम अन्य देशों को भी भारत में निर्मित उपकरण निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने कहा , “ रक्षा निर्यात, जो एक दशक पहले लगभग 2,000 करोड़ रुपये था, आज 21,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है। हमने 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये का निर्यात लक्ष्य रखा है।”
रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण और संयुक्तता को मजबूत करने के सरकार के संकल्प को दोहराया और विश्वास जताया कि आने वाले समय में सशस्त्र बल एक साथ मिलकर बेहतर और अधिक कुशल तरीके से चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि महू छावनी में सभी विंग के अधिकारियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने अधिकारियों से इन्फैंट्री स्कूल में हथियार प्रशिक्षण, मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में एआई और संचार प्रौद्योगिकी तथा एडब्ल्यूसी में जूनियर और सीनियर कमांड में नेतृत्व जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण के माध्यम से एकीकरण को बढ़ावा देने की संभावना तलाशने का आग्रह किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भविष्य में कुछ अधिकारी रक्षा अताशे के रूप में काम करेंगे और उन्हें वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा, “ जब आप रक्षा अताशे का पद संभालेंगे, तो आपको सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को आत्मसात करना चाहिए। आत्मनिर्भरता के माध्यम से ही भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर सकता है और विश्व मंच पर अधिक सम्मान प्राप्त कर सकता है।“ रक्षा मंत्री ने भारत को दुनिया की सबसे मजबूत आर्थिक और सैन्य शक्तियों में से एक बनाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा , “ आर्थिक समृद्धि तभी संभव है जब सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाए। इसी तरह, सुरक्षा व्यवस्था तभी मजबूत होगी जब अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।”
उन्होंने कहा कि 2047 तक हम न केवल एक विकसित राष्ट्र बन जाएंगे, बल्कि हमारी सशस्त्र सेनाएं दुनिया की सबसे आधुनिक और सबसे मजबूत सेनाओं में से एक होंगी। श्री सिंह ने अधिकारियों से डॉ. बीआर अंबेडकर के समर्पण और भावना के मूल्यों को आत्मसात करने का भी आग्रह किया। उन्होंने बाबा साहब को न केवल भारतीय संविधान का निर्माता बताया, बल्कि एक दूरदर्शी मार्गदर्शक भी बताया। उन्होंने लोगों, खासकर युवाओं को उनके मूल्यों और आदर्शों से परिचित कराने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। सीमाओं की सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सबसे पहले प्रतिक्रिया देने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, “ राष्ट्र की रक्षा के लिए यह समर्पण और लगातार बदलती दुनिया में खुद को अपडेट रखने की यह भावना हमें दूसरों से आगे ले जा सकती है।”
इससे पहले रक्षा मंत्री ने इन्फैंट्री मेमोरियल पर माल्यार्पण किया और बहादुरों को श्रद्धांजलि दी।