हैदराबाद, देश में बड़े पैमाने पर लंबित मामलों और न्यायाधीश-जनसंख्या अनुपात काफी कम रहने का मुद्दा उठाते हुए प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने रविवार को विधि स्नातकों से अपील की कि वे बार या न्यायपालिका में शामिल हों। नलसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति ठाकुर ने कहा कि भारत को विधि शिक्षा में उत्कृष्टता के केंद्रों की जरूरत है, नहीं तो नौजवान छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाएंगे। उन्होंने कहा, अमेरिका में 10 लाख की आबादी पर 150 न्यायाधीश हैं और दूसरे विकसित देशों में भी यही स्थिति है। हमारे यहां 10 लाख की आबादी पद करीब 18 न्यायाधीश हैं। हमारे यहां विभिन्न अदालतों में तीन करोड़ मामले लंबित हैं। इन मामलों को निपटाने के लिए 18,000 न्यायाधीशों की जरूरत है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पांच साल से ज्यादा पुराना लंबित नहीं रहने के लक्ष्य को हासिल करना बहुत मुश्किल है क्योंकि लाखों ऐसे मामले हैं जो 10 साल, 15 साल और 20 साल पुराने हैं।