मुंबई, फिल्म निर्माता जोया अख्तर का कहना है कि यदि कोई महिला किसी दल की अगुवाई कर रही है, तो लोग तुरंत उसके ऊपर बॉसी होने का तमगा लगाने लगते हैं। 44 वर्षीय फिल्मकार का मानना है कि लोग दबंग पुरुष अधिकारियों की तो सराहना करते हैं, लेकिन यदि महिला अधिकारी की पकड़ मजबूत है, तो उसके बारे में नकारात्मक बातें करते हैं। जोया ने कहा, यदि हम लिंगवाद की बात करें, तो यदि आप एक महिला हैं और आपके हाथ में कमान है तो आपका आकलन किया जाता है। इसका मतलब है कि वह बॉसी है। मैं बॉसी नहीं हूं, बल्कि मैं बॉस हूं। बस इतनी सी बात है। इसके अलावा मैं और कुछ नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा, इसलिये आपको हमेशा सुनने को मिलता है कि वह अपने काम में वास्तव में अच्छा है, और वह जानता है कि उसे क्या चाहिए और वह (महिला) बॉसी है। एक निश्चित बिन्दु के बाद आप लोगों के बीच एक पहचान बना लेते हैं और इसे हंसी में उड़ा देते हैं। लेकिन यह बात है। जोया ने कहा कि फिल्म जगत में कुछ पुरऊष निर्देशक ऐसे भी हैं, जो अपने सहयोगियों को सजा तक देते हैं, और लोगों को लगता है कि काम करवाने का यही तरीका है। उन्होंने कहा मुझे याद नहीं है, जब मैंने खुद को अपने भाई से सिर्फ इसलिये अलग महसूस किया हो, कि मैं एक लड़की हूं। हम दोनों में एक साल का फर्क है, लेकिन हमारे साथ एक जैसा व्यवहार किया गया। मैं जब कॉलेज गयी, तब मैंने पहली बार स्त्री एवं पुरुष के बीच किए जाने वाले फर्क को महसूस किया। मेरी सहेली को रात में बाहर जाने की इजाजत इसलिए नहीं थी कि वह एक लड़की थी। यह स्थिति तब थी, जबकि उसका भाई भी उसके साथ था। इससे मैं आहत हुयी और यह बात मेरी समझ में नहीं आयी। दिल धड़कने दो की निर्देशिका कल शाम लड़कियां कुछ भी कर सकती हैं की पैनल चर्चा में यह बात कर रही थीं। इस कार्यक्रम का आयोजन अभिनेता एवं फिल्म निर्माता राहुल बोस ने कल शाम को किया था।