नयी दिल्ली, एक नए अध्ययन के मुताबिक, ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत भारत में नए कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की तुलना में बेहद कम लागत में अधिक बिजली प्रदान कर सकते हैं और इसका लाभ करदाताओ को होगा
वित्तीय थिंक टैंक कार्बन ट्रैकर द्वारा ‘गत वर्षों में कोयले की बिजली में आर्थिक और वित्तीय जोखिमों को पता लगाना’ नामक अध्ययन में कहा गया है कि कोयले की से बनने वाली बिजली के प्रयोग को समाप्त करने से उपभोक्ताओं और करदाताओं को फायदा होगा क्योंकि भारत एक विनियमित बाजार है जहां राज्य का समर्थन कम आमदनी वाले कारखानों को चलाने के लिए है।
इसमें कहा गया है कि हालांकि, भारत एक ऐसा देश है जो अंततः विनियमित बाजारों में निवेश जोखिम को कम करता है, जहां कोयले को प्रतिस्पर्धा से मुक्ति मिली हुई है। चीन, भारत, जापान और अमेरिका के कुछ हिस्सों में आमतौर पर उत्पादन लागत को मंजूरी दे दी जाती है और इसे उपभोक्ताओं से वसूला जाता है।
इसमें कहा गया है कि लंबी अवधि में कोयले का समर्थन करने से आर्थिक प्रतिस्पर्धा और सार्वजनिक वित्त को खतरा होगा, क्योंकि राजनेताओं को कोयले की बिजली को सब्सिडी देने या उपभोक्ताओं के लिए बिजली बढ़ी कीमतों के बीच चयन करने के लिए मजबूर होना होगा। अध्ययन के अनुसार कोयला आधारित कारखानों को धीरे धीरे समाप्त करने से अरबों रूपये बच सकता है, लेकिन यह कोयले के मालिकों के मुनाफे को प्रभावित करेगा।