लखनऊ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने अनाथ बच्चों का दाखिला नवोदय विद्यालय में न कराए जाने के मामले पर दायर अपील पर विद्यालय प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार के मुक़दमे मानवीय संवेदनाओं पर करारा प्रहार है। न्यायालय ने नवोदय विद्यालय गौरीगंज अमेठी के डिप्टी कमिश्नर पर 5000 रुपये का हर्जाना ठोकते हुए अपील खारिज कर दी।
अदालत ने एकल पीठ के उस आदेश को उचित बताया है जिसके तहत एकल पीठ ने इसी मामले में दोनों अनाथ अबोध बच्चों का दाखिला नवोदय विद्यालय में किये जाने के आदेश दिए थे। न्यायालय का मानना है कि ऐसे मामलों में दिए गए आदेश मानने चाहिए न कि उनके खिलाफ अपील दायर कर चुनौती देना चाहिए।
यह आदेश आज न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही एवं न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने नवोदय विद्यालय की ओर से दायर अपील को ख़ारिज करते हुए दिए हैं।
दो बच्चों के पिता की हत्या हो गयी थी और इन दोनों बच्चों की माँ ने दूसरी शादी कर ली थी। जब बच्चे अनाथ हुए तो बच्चों की नानी ने अभिभावक होने की अर्जी निचली अदालत में दी। इस अर्जी को अदालत ने स्वीकार कर लिया। जब दोनों बच्चों का दाखिला नवोदय विद्यालय में कराये जाने का आवेदन किया गया तो विद्यालय ने मना कर दिया। इस पर उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने नवोदय विद्यालय को दाखिला लेने के आदेश दिए तथा साथ ही कहा था कि इन बच्चों का दाखिला न लेना मानवता के खिलाफ है। इस आदेश के खिलाफ नवोदय विद्यालय ने अपील दायर की थी जिसे उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।