कांग्रेस के दरबार में चमचागीरी करने वालों की कहानियां दशकों से चर्चा में रही हैं.कांग्रेस पार्टी में चाटुकारिता की कई दिलचस्प मिसालें मिल जाएंगी.कांग्रेस में इस बार चापलूसी की नई मिसाल मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रह चुके वी नारायणसामी ने पेश की है.68 साल के पूर्व मंत्री नारायणसामी ने राहुल गांधी की चप्पलें उठायी हैं. राहुल गांधी बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलने के लिए पुदुच्चेरी गए हुए थे. राहुल उस जगह पहुंचे जहां बाढ़ का पानी लगा हुआ था. 44 साल के राहुल के जूते उतारने से पहले 68 साल के नारायणसामी हाथ में चप्पल लेकर हाजिर थे. नारायणसामी हाथ में चप्पल लेकर झुकते हैं और उसे राहुल गांधी को पहनने के लिए सौंप देते हैं. हैरानी की बात है कि राहुल गांधी नारायणसामी के हाथ में रखे हुए चप्पल को बेझिझक पहन भी लेते हैं. पुदुच्चेरी से पूर्व सांसद नारायणसामी से जब पूछा गया कि आपने ऐसा क्यों किया तो नारायणसामी ने कहा उन्होंने कोई चापलूसी नहीं की बल्कि शिष्टाचार निभाया.
साल 2010 की बात है. राहुल गांधी मुंबई दौरे पर गए थे. राहुल जब घाटकोपर में थे तभी महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री रमेश बागवे ने राहुल गांधी के जूते उठा कर जी हुजूरी की हैरान कर देने वाली हरकत की. चापलूसी में कोई कमी न रह जाए इसके लिए राहुल गांधी के मना करने के बावजूद उनके जूते को उठाकर सही जगह पर रख दिया. इस तरह की चमचागीरी के रिकॉर्ड पहले भी राजनीति के कई बड़े दिग्गज बना चुके हैं.
आपातकाल का दौर था. देश में इमरजेंसी लगी हुई थी. लोगों के मूलभूत अधिकार छिन लिए गए थे. उस समय गांधी- नेहरू परिवार के तत्कालीन राजकुमार संजय गांधी की चप्पलें उठाने की कांग्रेसी नेताओं में होड़ लगी रहती थी.उन्नीस सौ सत्तर के दशक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए नारायण दत्त तिवारी ने संजय गांधी की चप्पलें उठाने का काम किया था.ये वो समय था जब कांग्रेस की राजनीति में संजय गांधी की तूती बोलती थी. कांग्रेस नेताओं को कहीं न कहीं संजय गांधी की चप्पलों के नीचे से ही अपनी तरक्की का रास्ता दिखाई देता था. महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकर राव चव्हाण ने संजय गांधी की चप्पल उठायी थी.चप्पल उठा कर चापलूसी का मुजाहिरा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह भी कर चुके हैं. 1980 के दशक में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी शामिल होने गई थीं. चप्पल उतार कर इंदिरा गांधी श्रद्धांजलि देने के लिए आगे गईं और जब वो लौटीं तो अर्जुन सिंह उनके सामने चप्पल को सीधा घुमा कर सामने नतमस्तक थे. इसमे इंडिया इज इंदिरा एंड इंदिरा इज इंडिया कहने वाले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष देवकीनंदन बरुआ भी हैं.