आज़मगढ़ , मुम्बई में 1993 में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों का आरोपी अबू सलेम को टाडा की विशेष अदालत से दोषी करार दिये गये अबू सलेम के गृह इलाके आजमगढ़ के सरायमीर कस्बे में सन्नाटा पसरा हुआ है हालांकि क्षेत्र के कई लोग उस जघन्य काण्ड के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा सुनाये जाने के पक्षधर हैं।
वर्ष 1993 में मुम्बई में दिल दहला देने वाले बम धमाकों के सात आरोपियों में से अदालत ने छह आरोपियों को दोषी करार दे दिया। इसमें आज़मगढ़ जिले के अबू सलेम को अदालत ने आपराधिक साजिश में शामिल होने का दोषी पाया है। उसे आतंकवाद संबंधित गतिविधियों का भी दोषी करार दिया गया।
इस फैसले के बाद आज़मगढ़ में लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। एक वर्ग ने तो अदालत के फैसले का स्वागत किया तो कुछ लोगों ने फैसले का सम्मान तो किया लेकिन ऊपरी अदालत में दरवाजा खटखटाने को कहा है। कुछ ने कम से कम सज़ा दिये जाने की मांग की है।
अबू सलेम के भतीजे मोहम्मद आरिफ ने अदालत के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की और कहा अभी दोषी करार दिया गया है। सज़ा जैसी भी निर्धारित होगी तो ऊपरी अदालत में न्याय के लिए गुहार किया जायेगा। निज़ामाबाद कस्बे के मिराज अहमद का कहना है की कोई भी व्यक्ति हो यदि 257 लोगों के मौत का आरोपी है तो उसे सख्त से सख्त सज़ा देनी चाहिए।
वहीं, अबू सलेम के पैतृक सरायमीर कस्बे के मोहम्मद नेहाल का कहना है सरायमीर हो या आज़मगढ़ या उत्तर प्रदेश इस इलाको में कहीं भी कोई आपराधिक आरोप अबू सलेम के ऊपर नहीं है जैसे कुछ लोगों को आरोपमुक्त करके इस मामले से बरी किया गया था। उसी तरह अबू सलेम को भी बरी करना चाहिए था, अब जब दोष सिद्ध ही हो गया है तो सज़ा कम से कम निर्धारित हो यही अपील है।
वहीं भाजपा नेता सहजानंद राय, सामाजिक कार्यकर्ता श्यामसुन्दर गुप्त,आज़मगढ़ शहर के आर्ट आफ लिविंग के डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर अमित मिश्र ने कहा कि देश में इतने बड़े बम धमाके के आरोपियों को तो फांसी से कम सज़ा तो देनी ही नहीं चाहिए।