नई दिल्ली, जनशिकायत मंत्रालय ने एक नया नियम बनाया है जिसके अनुसार ऐसे सरकारी कर्मचारियों को भी पदोन्नत किया जाएगा जिन्हें भ्रष्टाचार अथवा अन्य आपराधिक मामलों में निचली अदालतों से तो बरी कर दिया गया है लेकिन उनकी याचिकाएं ऊपरी अदालतों में लंबित हैं। मंत्रालय के समक्ष लगातार ऐसे मामले आ रहे थे जिनमें यह पूछा जा रहा था कि ऐसे सरकारी कर्मचारी जो निचली अदालतों से तो बरी हो चुके हैं लेकिन ऊपरी अदालतों में जिनके मामले लंबित हैं, उनकी पदोन्नति के लिए क्या कार्रवाई होनी चाहिए। जनशिकायत मंत्रालय की ओर से जारी दिशानिर्देश के अनुसार विधि मंत्रालय ने मामले की जांच के बाद यह निर्यण किया कि जिन मामलों में विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) की अनुशंसा सिर्फ इसलिए सीलबंद लिफाफे में कैद है क्योंकि उक्त कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित हैं को इन हालातों में खोला जा सकता है कि इन्हें निचली अदालतों ने तो बरी कर दिया हो और ऊपरी अदालतों ने आदेश पर रोक नहीं लगाई हो। नियम के मुताबिक दोषी करार दिए गए कर्मचारी की पदोन्नती को अमान्य माना जाएगा और 48 घंटे से अधिक की कैद की सजा पाए कर्मचारी को निलंबित माना जाएगा।