नैनीताल, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा कि आने वाले समय में हिंसक जानवरों को राज्य सरकार आदमखोर घोषित कर मरवा नहीं सकती हैं। हाईकोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट के फरमान के अनुसार अब आदमखोर साबित हो चुके टाइगर और तेंदुओं को बेहोश कर जिंदा ही पकड़ा होगा। कोर्ट ने कहा कि पकड़े गए आदमखोर जानवर को कुछ वक्त के लिए अस्थाई रूप से चिडियाघर में रखना होगा और उसके बाद उस जानवर को फिर से उसके लायक जंगल में छोडा जाएगा।
प्रदेश सरकार को जंगल और वन्यजीवों के प्रति संजीदा होने की नसीहत देते हुए कोर्ट ने कहा कि जिम कार्बेट नेशनल पार्क के चारों और केन्द्र के सहयोग से राज्य सरकार पत्थरों की चारदीवारी का निर्माण करें। खबरों के मुताबिक हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं हुई जिनमें कई तेंदुओं को आदमखोर घोषित कर दिया गया था। इन घटनाओं का उदाहरण देते हुए जस्टिस राजीव शर्मा तथा आलोक सिंह की डिविजन बेंच ने सभी जंगली जानवरों को आदमखोर घोषित कर मारने पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है। साथ ही उन जानवरों के शव को मीडिया में दिखाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा कि अगर किसी जंगली जानवर के कारण से आम लोगों के जीवन को खतरा हो तो उसे जानवरों के चिकित्सक की मौजूदगी में ट्रांक्वेलाइजर गन का यूज कर बेहोश कर जिंदा पकड़ा जाए तथा फिर पास के जंगलों में छोड़ दिया जाए। किसी जानवर के कारण से इंसान की जिंदगी को खतरा है या नहीं इस बारे में फैसला हाई लेवल की एक कमिटी द्वारा होगा। इस कमिटी में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के प्रिसिंपल सेक्रेटरी तथा प्रिसिंपल चीफ कंजरवेटर शामिल होंगे।