नई दिल्ली, निचली अदालतों में मुकदमों की संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि की पृष्ठभूमि में नीति आयोग ने सिर्फ ट्रैफिक चालान से जुड़े मुकदमों के निपटारे के लिए विशेष अदालतों का गठन करने का सुझााव दिया है। निचली अदालतों का बोझा कम करने के लिहाज से प्रस्तावित इन अदालतों में, नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को जुर्माना भरने के लिए न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित नहीं होना पड़ेगा।
नीति आयोग ने विधि आयोग की जुलाई, 2014 की रिपोर्ट से यह विचार लिया है, जिसमें कहा गया है कि विशेष ट्रैफिक अदालतों की कार्यवाही चलाने के लिए विधि स्नातकों की नियुक्ति की जानी चाहिए। विधि मंत्रालय को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में पैनल ने कहा है कि यदि विधि स्नातक ट्रैफिक अदालतों का कामकाज संभाल लें तो निचली अदालतें अन्य महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवायी कर सकती हैं।
वित्त मंत्री अरूण जेटली द्वारा जारी, तीन वर्ष का कार्य एजेंडा, 2017-2018 से 2019-2020 शीर्षक वाली रिपोर्ट के अनुसार, नीति आयोग का कहना है कि तीन वर्षों के विधि पैनल के विश्लेषण के दौरान यह बात सामने आयी है कि ट्रैफिक और पुलिस चालान कुल मुकदमों का 37.4 प्रतिशत है, ऐसे में इसके लिए विशेष अदालतों का गठन किया जा सकता है।
आयोग ने कहा है, विचार किया जा रहा है कि जुर्माना भरने के लिए उल्लंघनकर्ता के व्यक्तिगत रूप से अदालत आने की अनिवार्यता को भी खत्म किया जाए। विधि आयोग ने भी रिपोर्ट में ऐसी ही सिफारिश की है। उसने कहा है कि जुर्माना भरने के लिए ऑनलाइन सुविधा दी जानी चाहिए।