नई दिल्ली, सरकारी विज्ञापनों में सिर्फ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का ही फोटोग्राफ होने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2015 के आदेश में संशोधन किया है।
पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार की ओर से दलील देते हुए अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ये तय नहीं कर सकता कि सरकारी विज्ञापनों में फोटो किसकी हो। ये काम संसद का है। संसद इसके लिए बजट देता है और वो फंड रोक भी सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
अटार्नी जनरल ने कहा था कि अगर प्रधानमंत्री की फोटो विज्ञापनों में हो सकती है तो चीफ मिनिस्टर और बाकी मंत्रियो की क्यों नहीं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश के सभी मंत्री बिना चेहरे के हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पांच साल एक ही चेहरा देखने को मिलेगा जो प्रधानमंत्री का है। यह सही नहीं है। दूसरे चेहरे भी दिखाना लोकतंत्र का हिस्सा है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि सरकारी विज्ञापनों में सिर्फ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का ही फोटोग्राफ हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को ठुकरा दिया था जिसमें केंद्र सरकार ने कहा था कि यह नीतिगत मामला है और इसमें जूडिशियरी को दखल नहीं देना चाहिए।