नई दिल्ली, नोटबंदी को लेकर लोगों में हो रही मारा-मारी अब शायद कुछ कम हो जाए। इसकी वजह यह है कि बुधवार से नोट बदलने या कैश निकालने वालों की अंगुलियों में स्याही लगाई जाएगी, जिससे वह दोबारा बैंकों की लाइनों में लगकर भीड़ न बढ़ा सकें। यह निशान दाहिने हाथ की अंगुली पर लगाया जाएगा। रिजर्व बैंक ने मंगलवार को ही इसका फैसला लिया है। आरबीआई ने साफ कर दिया है कि यह निशान सिर्फ उन्हीं ग्राहकों की अंगुली पर लगाया जाएगा जो नोट बदलने आएंगे। पहले यह माना जा रहा था कि यह निशान बैंक में जाने वाले हर ग्राहक की अंगुली पर लगाया जाएगा। दरअसल, कई लोग लगातार रोजाना ही बैंकों की लाइन में लगकर भीड़ बढ़ाने का काम कर रहे हैं जिससे दूसरे जरूरतमंद लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे बचने के लिए ही अब आरबीआई ने बैंकों में आने वालों की अंगुली में स्याही लगाने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि आरबीआई ने पहले ही लोगों से अपील की थी कि वह बार-बार पैसे निकासी के लिए बैंक न आएं। पैसा निकासी में आ रही दिक्कत पर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार का कहना है कि यह परेशानी 3 से 4 दिनों में दूर हो जाएगी। सरकार ने एक बार फिर से लोगों को अफरा-तफरी न मचाने की सलाह दी है। सरकार का कहना है कि बैंकों में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है, लिहाजा लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। वहीं जन-धन खातों में नकद जमा करने की सीमा 50 हजार रुपये कर दी गई है। इसके साथ ही अब ऐसे खातों में 50 हजार से ज्यादा रुपये जमा नहीं कराए जा सकेंगे। हालांकि बुधवार को बैंकों और एटीएम के बाहर लाइन पहले की अपेक्षा कुछ कम लंबी दिखाई दे रही हैं। इसकी वजह एटीएम में पांच सौ के नोटों की निकासी को माना जा रहा है। वहीं जैसे-जैसे सरकार और आरबीआई इसको लेकर लगातार फैसले ले रही है और स्थिति पर निगाह रखे हुए है, उससे भी स्थिति कुछ सामान्य होने की दिशा में अग्रसर है। हालांकि कुछ राज्यों में बैंकों और एटीएम के बाहर पहले की ही तरह लाइनें देखी जा रही हैं। बैंक में पैसा निकासी करवाने वाले लोगों की अंगुली में स्याही लगाने के सरकार के फैसले पर चुनाव आयोग का कहना है कि ऐसा करते समय आयोग के नियमों की अनदेखी न की जाए। आयोग ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर कहा है कि 19 नवंबर को पांच राज्यों में उपचुनाव होने हैं और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बैंकों में नकदी जमा करने वाले लोगों को अमिट स्याही लगाने से इन राज्यों में मतदाताओं को समस्या न आए।