नई दिल्ली, अंग दान करने वालों का इंतजार कर रहे लोगों को लाभ पहुंचाने के मकसद से सरकार करीबी रिश्तेदार की परिभाषा में सौतेले माता-पिता, सौतेले भाई-बहन और परिवार के अन्य सदस्यों को शामिल करने की योजना बना रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मानव अंग एवं उुाक प्रतिरोपण अधिनियम, 1994 में संशोधन के लिए सर्कुलर रखा है ताकि करीबी रिश्तेदारों की परिभाषा का दायर बढ़ाया जा सकें। उसने लोगों से 25 सितंबर तक इस पर टिप्पणियां मांगी है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इसकी परिभाषा को व्यापक बनाने से देश में अंगदान का इंतजार कर रहे लोगों के लिए अंगों की उपलब्धता बढ़ेगी। शुरू में पति-पत्नी, बेटे, बेटियों, पिता, माताओं, भाइयों और बहनों को ही करीबी रिश्तेदार के तौर पर परिभाषित किया गया था और सिर्फ यही लोग कानूनी रूप से अंग दान कर सकते थे।
सरकार ने वर्ष 2011 में इस अधिनियम में संशोधन कर करीबी रिश्तेदारों में दादा-दादी, नाना-नानी, पोता-पोती और नाती-नातिन को शामिल किया था। संशोधित मसौदे में कहा गया है कि 2011 में करीबी रिश्तेदार की परिभाषा का दायरा बढ़ाने से जीवित दानदाताओं की संख्या में कोई खास इजाफा नहीं हुआ क्योंकि दादा-दादी और नाना-नानी अंग दान करने के लिए या तो बहुत बुजुर्ग होते हैं या विपरीत चिकित्सीय स्थिति के कारण वे अंग दान नहीं कर सकते।
इसी तरह पोता-पोती और नाती-नातिन अंग दान देने के लिए काफी युवा होते हैं। सर्कुलर के अनुसार, मंत्रालय को मानव अंग एवं ऊत्तक प्रतिरोपण अधिनियम, 1994 से संबंधित कई शिकायतें मिली है जिसमें ज्यादातर शिकायतें करीबी रिश्तेदार दानदाता का उपलब्ध ना होना या करीबी रिश्तेदार के रक्त का मिलान ना होना है। मंत्रालय ने ईमेल आईडी जारी की है जिस पर सुझााव भेजे जा सकते हैं।