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अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर दलित राजनीति के सामाजिक पैरोकार प्रो0 आनंद तेलतुंबड़े

नयी दिल्ली,  वह पेशे से भले ही मैनेजमेंट इंजीनियर हैं और फिलहाल गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में पढ़ाते हैं, लेकिन उनके विचार और उनका लेखन उनके व्यक्तित्व का एक बहुत मुखर चेहरा दिखाता है, जिसमें व्यवस्था की खामियों के खिलाफ आवाज उठाने का माद्दा है और जो अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर दलित राजनीति तक तमाम मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं। यह हैं जाने माने दलित शिक्षाविद् प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े।

परिचय की बात करें तो आनंद तेलतुंबड़े एक स्तंभकार, शिक्षाविद् और मानव अधिकार कार्यकर्ता होने के साथ ही एक ऐसे लेखक हैं, जिनकी तमाम किताबों की जमकर आलोचना हुई। उन्होंने अपनी किताबों में आरक्षण और दलित राजनीति का एक विद्रूप चेहरा समाज के सामने लाने की कोशिश की है। उनकी अधिकतर किताबों का बहुत सी भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी हुआ। समकालीन जन आंदोलनों पर बेखौफ कलम चलाने वाले आनंद सामयिक विषयों की लगभग सभी पत्रिकाओं आउटलुक इंडिया, तहलका, मेनस्ट्रीम, सेमीनार, फ्रंटियर और इकनॉमिक एंड पोलिटिकल वीकली में नियमित रूप से लिखते हैं। उनका नियमित स्तंभ ‘मार्जिन स्पीक’ अपने आप में व्यवस्था को आइना दिखाने का काम करता है।

महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के एक छोटे से गांव राजूर में जन्मे आनंद ने गांव के ही एक स्कूल से सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की और उसके बाद वानी तालुका के सरकारी हाई स्कूल में दाखिला लिया। वहां से दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद आनंद ने इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से प्री यूनिवर्सिटी और विश्वेसरैया रीजनल कालेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक स्तर की पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ समय तक उन्होंने विभिन्न कंपनियों में नौकरी की और फिर अहमदाबाद के भारतीय प्रबंधन संस्थान में दाखिला लिया। उन्होंने साइबरनेटिक मोडेलिंग में शोध किया, जिसके लिए उन्हें मुंबई विश्वविद्यालय से पीएच डी की उपाधि प्रदान की गई। वह प्रोडक्शन रिसर्च, प्रोजेक्ट रिसर्च, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, एरगोनोमिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और सायबरनेटिक्स जैसे गूढ़ विषयों पर दुनियाभर में अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा लेते रहते हैं और देश विदेश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में व्याख्यान देते हैं।

अब एक सामाजिक पैरोकार के तौर पर उनके जीवन के दूसरे पहलू की बात करें तो वह लोकतांत्रिक अधिकार संरक्षण समिति, महाराष्ट्र के महासचिव हैं, कोआर्डिनेशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स आर्गेनाइजेशन के कार्यकारी सदस्य हैं, सभी के लिए केजी से पीजी तक की शिक्षा की हिमायत करने वाले एक अखिल भारतीय आंदोलन ऑल इंडिया फोरम फोर राइट टू एजुकेशन के अध्यक्ष मंडल के सदस्य भी हैं।
कोरेपोरेट जगत में लंबे करियर के बाद आनंद 2016 से गोवा इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट :जीआईएम: में हैं और डाटा एनालेटिक्स प्रोग्राम की अगुवाई कर रहे हैं। प्रोफेसर आनंद के साथ काम करने वाले लोग, उनके छात्र और संस्थान का प्रबंधन प्रोफेसर आनंद को एक बेहतरीन इनसान और विद्वान शिक्षाविद् मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं।

उन्होंने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की पोती से विवाह किया है और अपनी पत्नी के साथ जीआईएम परिसर में ही रहते हैं। उनकी एक बेटी मुंबई की एक प्रतिष्ठित फार्मास्यूटिकल कंपनी में उच्च पद पर है और दूसरी बेटी आईआईएम से पढ़ाई कर रही हैं। प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े का बहुआयामी व्यक्तित्व और उनके उग्र विचार अकसर व्यवस्था के विरोध का मुश्किल रास्ता चुनते हैं और उन्हें इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है।