अहमदाबाद, लगभग दो दशकों से गुजरात मे सत्ता का आनंद ले रही भाजपा के लिये अबकी बार का विधानसभा चुनाव लगातार कठिन होता जा रहा है. बीजेपी के खिलाफ सारे विरोधी एक होते दिख रहे हैं. कांग्रेस से जूझ रही भाजपा के लिये, अमर, अकबर, एंथोनी की तिकड़ी ने नई अड़चनें पैदा कर दी हैं.
पिछले तीन सालों से गुजरात मे भाजपा सरकार की गलत नीतियों या कार्यवाही का अगर विपक्ष से ज्यादा किसी ने विरोध किया है तो वह ये अमर, अकबर, एंथोनी की तिकड़ी है. मोदी को पूरे देश से ज्यादा उनके अपने गृह प्रदेश मे चुनौती देने वाले ये तीन नेता हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर हैं.
गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, कांग्रेस के प्रति इस तिकड़ी का झुकाव गुजरात मे सत्ता की बाजी को पलट सकता है. गुजरात में 12 प्रतिशत पाटीदारों के वोट हैं. हार्दिक पटेल द्वारा पाटीदारों के लिए आरक्षण को लेकर जिस प्रकार आन्दोलन चलाया गया है उससे पटेल समुदाय का 12 प्रतिशत का वोट भाजपा से खिसकता दिख रहा है.
गुजरात मे गौरक्षा के नाम पर दलितों की पिटाई का सबसे मुखर विरोध कर चर्चा मे आने वाले जिग्नेश मेवाणी को आज पूरा देश दलित नेता के रूप मे जान रहा है. आजादी कूच आंदोलन में जिग्नेश ने 20 हजार दलितों को एक साथ मरे जानवर न उठाने और मैला न ढोने की शपथ दिलाई थी. राज्य में दलितों का वोट करीब सात प्रतिशत है. जो अबकी बार भाजपा के लिये हथिया पाना मुश्किल है.
इस तिकड़ी का आखिरी शख्स सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. क्योंकि ओबीसी, एससी और एसटी एकता मंच के संयोजक अल्पेश ठाकोर गुजरात मे पिछड़े वर्ग के नेता हैं, जिसका वोट प्रतिशत पाटीदार और दलितों से कई गुना अधिक है.
इन तीनों के एक साथ होने पर बीजेपी के लिए गुजरात में जीत का सिलसिला कायम रखा मुश्किल होगा. एेसा नही है कि बीजेपी को इस हकीकत का एहसास नही है. यही कारण है कि एक माह के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपने गृह राज्य मे पांचवा दौरा है. निश्चित है कि इस तिकड़ी ने बीजेपी की नींदें उड़ा दी है. सूत्रों के अनुसार, बड़े-बड़े दावे छोड़ बीजेपी अब गढ़ बचाने की कवायद मे लग गई है.