नई दिल्ली (16 अक्टूबर) : अमेरिकी विदेश मंत्रालय के हाल में सार्वजनिक दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि सितंबर 1984 में तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने पाकिस्तान के सैन्य शासक जनरल जिया उल हक़ को आगाह किया था कि भारत की ओर से पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों को किसी ना किसी वक्त निशाना बनाया जा सकता है।
‘टॉकिंग पाइन्ट्स फॉर यूज़ इन डिलिवरिंग लैटर टू जनरल जिया’ नाम से चार पन्नों के इस सीक्रेट दस्तावेज़ और रीगन की ओर से 12 सितंबर 1984 को जनरल जिया को लिखे तीन पन्नों के पत्र को हाल में अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव की ओर से सार्वजनिक किया गया। इसके लिए अमेरिकी विदेश विभाग ने आग्रह किया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रीगन प्रशासन की ये आशंका अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की रिपोर्ट पर आधारित थी जो पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर भारत की प्रतिक्रिया पर आधारित थी।
सीआईए की ‘मंथली वारनिंग एंड फोरकास्ट मीटिंग्स फॉर जुलाई 1984’ शीर्षक वाले दस्तावेज में साफ लिखा गया कि भारतीय सरकार में कुछ ज़िम्मेदार लोगों का मानना है कि पाकिस्तान से परमाणु खतरा अपरिहार्य है और ऐसे में हमारा (सीआईए का) आकलन है कि भारत की तरफ से निकट भविष्य में सैन्य हमले की संभावना है।
अमेरिका की ओर से तब ये चिंता भी जताई गई थी कि पाकिस्तान के ठिकानों पर हमले के बारे में और कोई राजनीतिक या सैन्य चेतावनी देना संभव नहीं होगा।
जनरल जिया को लिखे अपनी चिट्ठी में रीगन ने कहा था कि पाकिस्तान को अपना परमाणु संवर्धन 5 फीसदी तक सीमित कर देना चाहिए। रीगन प्रशासन के कुछ अधिकारियों का मानना था कि 5 फीसदी की सीमा के ऊपर पाकिस्तान जाता है तो उस पर अमेरिका को पाबंदियां लगा देनी चाहिएं। लेकिन रीगन की चिट्ठी में पाबंदी जैसी किसी बात का ज़िक्र नहीं था।
जनरल जिया ने 7 नवंबर 1984 को रीगन की चिट्ठी का जवाब दिया था। इस चिट्ठी में जनरल जिया ने रीगन के परमाणु संवर्धन को 5 फीसदी तक लाने संबंधी बात का कोई ज़िक्र नहीं किया। इस चिट्ठी में जनरल जिया ने परमाणु हथियार बनाने जैसा कोई इरादा रखने की बात को पूरी तरह नकार दिया। जनरल जिया ने लिखा- ‘पाकिस्तान का परमाणु डिवाइस बनाने या परीक्षण का कोई इरादा नहीं है।’
जनरल जिया ने ये भी लिखा कि पाकिस्तान का यूरेनियम संवर्धन सुविधाएं सिर्फ शोध और ईंधन तकनीक के उद्देश्य से है। तथा इसका उच्च संवर्धित हथियार बनाने योग्य यूरेनियम से कोई लेना देना नहीं है
सीआईए के सितंबर 1985 के सीक्रेट आकलन में कहा गया कि जिया और पाकिस्तान का आवाम भारत से सुरक्षा प्रतिरोधक के तौर पर परमाणु हथियार क्षमता हासिल करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस आकलन में ये भी कहा गया कि अगर वाशिंगटन परमाणु अप्रसार कारणों से पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद में कटौती करता है तो जिया अफगानिस्तान में मुजाहिदीन प्रतिरोध को समर्थन घटा देंगे।