लखनऊ ,आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या मामले में न्यायालय का ही फैसला मानने का एलान करते हुए आज कहा कि एक साथ तीन तलाक देना अनुचित है।
बोर्ड की दो दिवसीय बैठक के अन्तिम दिन कहा गया कि अयोध्या विवाद में उच्चतम न्यायालय का फैसला ही माना जायेगा। न्यायालय से बाहर का कोई निर्णय बोर्ड को अमान्य होगा। अभी तक बातचीत के जरिये मसले के हल के कई कोशिशें हुई हैं लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला, इसलिए अब सिर्फ न्यायालय के फैसले को ही माना जायेगा। बोर्ड ने न्यायालय से इस मामले में सुनवाई में तेजी लाने की गुजारिश की।
बैठक में लिए गये निर्णयों की जानकारी देते हुए बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद अली रहमानी, अयोध्या मामले में पक्षकार सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के वकील और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने पत्रकारों से कहा कि बोर्ड का मानना है कि एक साथ तीन तलाक देना इसका सही तरीका नहीं है। शरीयत में इसकी मनाही है इसलिए बोर्ड बिना कारण के तलाक न देने का अभियान चलायेगा।
जिलानी ने बताया कि बोर्ड ने तय किया है कि तहरीके तलाक के सिलसिले में हिदायतनामा छापकर लोगों में वितरित कराया जायेगा। उनका कहना था कि एक साथ तीन तलाक न दिया जाये। अगर बहुत जरुरी हो तो भी एक से ज्यादा तलाक न दिया जाये ताकि सुलह समझौते की गुंजाइश बनी रहे।
उन्होंने कहा कि बोर्ड ने तय किया है कि बिना कारण के ती
तलाक देने वालों का सामाजिक बहिष्कार किया जायेगा। इससे तीन तलाक पर रोक लगेगी। शरीयत एक साथ तीन तलाक देने की इजाजत नहीं देता। उनका आरोप था कि तीन तलाक के मसले को मीडिया बेवजह बढ़ा चढ़ाकर दिखा या छाप रहा है। मीडिया को सही जानकारी लेकर ही इस सम्बंध में सामचार छापना या दिखाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश में समान आचार संहिता लागू करने की कोशिशों की खिलाफत की गयी। इस सम्बंध में पांच करोड़ से ज्यादा मुसलमानों के दस्तखत वाले फार्म को लॉ कमीशन को भी सौंपा गया है। उनका दावा था कि इस मुहिम में मुस्लिम महिलाओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। आधे से ज्यादा दस्तखत महिलाओं ने किये हैं।
उन्होंने बताया कि मुस्लिम औरतों की शरई और कानूनी मदद के लिए हेल्पलाइन स्थापित की गयी है। इसका लाभ महिलायें उठा रही हैं। प्रसिद्ध मुस्लिम शिक्षण संस्था दारूल उलूम नदवतूल उलमा लखनऊ में दो दिनों तक चली बैठक की अध्यक्षता बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी ने की। बैठक में इस्लाम में औरतों को मिले हक पर विस्तार से चर्चा की गयी। बैठक में मुसलमानों से सम्बंधित कई अन्य मसलों पर भी विचार हुआ।