अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले में सुनवाई टल गई है. अब 8 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट इस पर अगली सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच इस मामले की नियमित सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट में शिया वक्फ बोर्ड ने मंदिर का समर्थन किया. वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों को पढ़ा अौर कहा कि सभी सबूत कोर्ट के सामने पेश नहीं किए गए.
मुस्लिमों की ओर से मामले को संवैधानिक पीठ को भेजे जाने की मांग भी रखी गई. इस सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ने पर ऐसा किया जाएगा. इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों को पढ़ा. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोर्ट के सामने सभी सबूत पेश नहीं किए गए.
उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटिर जनरल तुषार मेहता ने इन दावों को गलत बताया. उन्होंने कहा, सभी संबंधित दस्तावेज और जरूरी अनुवादित कॉपियां जमा की जा चुकी हैं. इसके जवाब में कपिल सिब्बल ने पूछा कि 19000 पन्नों का दस्तावेज इतने कम वक्त में कैसे फाइल किया जा सकता है? सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें और अन्य याचिकाकर्ताओं को याचिकाओं से जुड़े सभी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं.
वहीं याचिकाकर्ताओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने पेश किए गए सभी दस्तावेजों और सबूतों का अनुवाद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था.