नई दिल्ली, अयोध्या विवाद का हल कोर्ट के बाहर करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के सुझाव ने सरगर्मियां बढ़ा दी है। सरकार और भाजपा ने जहां कोर्ट के सुझाव का स्वागत किया है, वहीं इस मामले के एक पक्षकार बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी इससे सहमत नहीं। कमेटी का कहना है कि वह तभी भरोसा करेगा जब इसकी मध्यस्थता खुद सुप्रीम कोर्ट करे।
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी कोर्ट से बाहर सेटलमेंट के लिए तैयार है। बोर्ड के मौलाना खालिद रशीद ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर कोर्ट से बाहर सेटलमेंट के लिए तैयार है। वहीं दारुल उलूम ने कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जो भी निर्णय लेगा वह तमाम मुसलमानों को मान्य होगा। दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी बनारसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस नजरिये पर बोर्ड कुछ कहे तभी वह इस मामले पर कुछ राय रख सकेंगे। दुनियाभर के मुसलमानों की आस्था के सबसे बड़े केंद्र दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी बनारसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस नजरिये पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कुछ कहे तो ही वह इस मामले पर कुछ राय रख सकेंगे। वहीं, दारुल उलूम जकरिया के वरिष्ठ उस्ताद एवं फतवा ऑनलाइन के चेयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारुकी ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की लीगल कमेटी इस मुद्दे को देख रही है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट हवा में बात न करके मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नोटिस भेजकर इस मसले पर पूछे की क्या ऐसा किया जा सकता है। उसके बाद पर्सनल लॉ बोर्ड जो भी फैसला लेगा वो तमाम मुसलमानों को मंजूर होगा।