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असम में बनेगा यूरिया का नया कारखाना

नयी दिल्ली, सरकार ने असम के नामरूप में ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीवीएफसीएल) के परिसर में एक नया ब्राउनफील्ड अमोनिया-यूरिया संयंत्र स्थापित करने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दे दी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज यहां हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। सूचना प्रसारण, रेल, इलैक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कैबिनेट के फैसलों की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने आज ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीवीएफसीएल), नामरूप असम के मौजूदा परिसर में 12.7 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) वार्षिक यूरिया उत्पादन क्षमता का एक नया ब्राउनफील्ड अमोनिया-यूरिया कॉम्प्लेक्स स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसकी अनुमानित कुल परियोजना लागत 10,601.40 करोड़ रुपये है तथा ऋण इक्विटी अनुपात 70:30 है। यह नई निवेश नीति, 2012 (7 अक्टूबर, 2014 को इसके संशोधनों सहित) के तहत एक संयुक्त उद्यम (जेवी) के माध्यम से स्थापित किया जाएगा। नामरूप-4 परियोजना के चालू होने की संभावित समय-सीमा 48 महीने है।

श्री वैष्णव ने कहा कि इसके अतिरिक्त, मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) के दिशा-निर्देशों में निर्धारित सीमाओं में छूट देते हुए राष्ट्रीय उर्वरक लिमिटेड (एनएफएल) की 18 प्रतिशत की इक्विटी भागीदारी और नामरूप-4 उर्वरक संयंत्र की स्थापना की प्रक्रिया की देखरेख के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) के गठन को भी मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संयुक्त उद्यम में 40 प्रतिशत इक्विटी असम सरकार, 11 प्रतिशत

बीवीएफसीएल, 13 प्रतिशत हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल), 18 प्रतिशत नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (एनएफएल) तथा 18 प्रतिशत ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) की होगी। बीवीएफसीएल की इक्विटी हिस्सेदारी मूर्त परिसंपत्तियों के बदले में होगी।

उन्हाेंने कहा कि इस परियोजना से देश में विशेष रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र में घरेलू यूरिया उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। यह पूर्वोत्तर, बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में यूरिया उर्वरकों की बढ़ती मांग को पूरा करेगा। नामरूप-4 इकाई की स्थापना अधिक ऊर्जा दक्ष होगी। इससे क्षेत्र के लोगों के लिए अतिरिक्त प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी खुलेंगे। इससे देश में यूरिया के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।