नई दिल्ली, कदाचार के आरोप में आईआईटी खड़गपुर द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने के बाद छह साल चली कानूनी लड़ाई के पश्चात पूर्व प्रोफेसर और व्हिसलब्लोअर राजीव कुमार को अंततः जवाहरलाल नेहरू विविद्यालय में पोस्टिंग मिल गई है। जेएनयू ने एक आदेश में कुमार से आग्रह किया कि वह स्कूल ऑफ कंप्यूटर एंड सिस्टम साइंसेज में तत्काल अपनी ड्यूटी शुरू करें। आईआईटी खड़गपुर ने मई 2011 में कुमार को कदाचार के आरोप में निलंबित कर दिया था।
उन पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने संस्थान की छवि को यह आरोप लगा कर खराब किया है कि संस्थान में प्रवेश देने और लैपटॉप खरीदने में धांधली हुई है और परीक्षा में छात्र बड़े स्तर पर नकल करते हैं। उसी साल उच्चतम न्यायालय ने आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा जेईई में सुधार के प्रयासों के लिए कुमार को नेपथ्य का नायक बताया था। इसके बाद से इस परीक्षा का नाम बदलकर जेईई एडवांस हुआ।
कुमार की अनिवार्य सेवानिवृति को हाल ही में प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति पद छोड़ने से कुछ दिन पहले रद्द कर दिया था। आईआईटी खड़गपुर द्वारा उनका कार्यभार ले लेने के बाद कुमार जून 2015 में एक आदेश के माध्यम से जेएनयू के साथ जुड़े थे जिसमें उन्हें दो साल – 12 जून 2015 से 11 जून, 2017 तक के लिए कार्यकाल पुनर्धकिारग्रहण दिया गया था।
आदेश में कहा गया था कि अगर उन्होंने इस अधिकार की अवधि खत्म होने पर आईआईटी खड़गपुर में कार्यभार नहीं संभाला तो माना जाएगा कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जेएनयू प्रशासन ने पिछले साल मई में जब उनसे पद संभालने को कहा था तब उनसे उनकी कार्यकाल समाप्ति या आईआईटी खड़गपुर को दिए इस्तीफे की प्रति जमा करने को कहा गया था। कुमार के इस्तीफे को आईआईटी खड़गपुर ने 14 अगस्त 2017 को दिल्ली उच्च न्यायलय के एक आदेश के बाद स्वीकार कर लिया। प्रोफेसर कुमार ने अपने सभी समर्थकों को धन्यावाद दिया है।