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आईआरएफसी अब बनेगा ‘महारत्न’ : सीएमडी

नयी दिल्ली, केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में नवरत्न का दर्जा प्राप्त भारतीय रेल वित्त निगम (आईआरएफसी) ने अब एक साल के भीतर महारत्न की श्रेणी में शामिल होने का संकल्प व्यक्त किया है।

आईआरएफसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मनोज दुबे ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कंपनी को नवरत्न का दर्जा मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे कंपनी को काम करने की अधिक स्वायत्तता मिल गई है। अब आईआरएफसी रेलवे के ईकोसिस्टम में योगदान करने वाली किसी भी परियोजना का वित्तपोषण करेगी और ज़ीरो एनपीए की शर्त पर सस्ता ऋण मुहैया करायेगी। इनमें रेलवे को आपूर्ति करने वाली नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन परियोजनाएं, रेलवे को उपकरण, लाॅजिस्टिक सेवा आदि प्रदान करने वाली परियोजनाएं शामिल हैं।

श्री दुबे ने कहा कि नवरत्न बनने के बाद अब हमारा लक्ष्य महारत्न कंपनी बनना है। संभवतः अगले वर्ष ही हम उन मानकों को पूरा कर लेंगे जो महारत्न की श्रेणी के लिए जरूरी हैं।

एक प्रश्न के उत्तर में श्री दुबे ने कहा, “नवरत्न का दर्जा प्राप्त करना आईआरएफसी की वित्तीय मजबूती और भारत के रेलवे बुनियादी ढांचे को समर्थन देने की उसकी प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब है। यह मान्यता हमें अपनी क्षमताओं का और अधिक विस्तार करने और राष्ट्र के विकास में और अधिक सार्थक योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।”

श्री दुबे ने कहा, “हम पूंजी-गहन रेलवे परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक लागत प्रभावी वित्तपोषण समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पूरा रेलवे इकोसिस्टम पूंजीगत व्यय (केपेक्स) में वृद्धि के दौर से गुजर रहा है, जो माल बुलाई और यात्री आवागमन दोनों के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी की मांग को पूरा कर रहा है। जैसे-जैसे भारत अमृत काल में 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, आईआरएफसी बुनियादी ढांचे के विकास और आधुनिकीकरण के लिए संसाधन जुटाने में और भी बड़ी भूमिका निभाएगा।”

उल्लेखनीय है कि 31 मार्च, 2024 तक 26 हजार 600 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व और 6400 करोड़ रुपये से अधिक के कर-पश्चात लाभ के साथ, आईआरएफसी प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां के मामले में भारत में तीसरा सबसे बड़ा सरकारी एनबीएफसी चुका है।

आईआरएफसी की स्थापना 12 दिसंबर, 1986 को एक शत-प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में की गई थी और इसने भारतीय रेलवे के विस्तार और आधुनिकीकरण के वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले कुछ वर्षों में, यह एक प्रमुख वित्तीय संस्थान के रूप में विकसित हुआ है, जिसे 1993 में कंपनी अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक वित्तीय संस्थान के रूप में, 1998 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तहत एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) के रूप में और बाद में 2010 में एक एनबीएफसी-इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (एनबीएफसी-आईएफसी) के रूप में पंजीकृत किया गया। मार्च 2018 में, इसे मिनी-रख श्रेणी-1 का दर्जा दिया गया। कंपनी को जनवरी 2021 में 26 रुपये के आईपीओ मूल्य पर स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध किया गया था, जो अब बढ़कर लगभग 115 रुपये हो गया है।

आईआरएफसी ने भारतीय रेलवे के लगभग 80 प्रतिशत रोलिंग स्टॉक के वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह पहला सरकारी उपक्रम था जिसने विदेशी बाजारों में 30 वर्ष की अवधि का बॉन्ड जारी किया। वर्तमान में आईआरएफसी का बाजार पूंजीकरण लगभग 1,50,000 करोड़ रुपये है. 4.61 लाख करोड़ रुपये का प्रबंधन के तहत परिसंपत्ति (एयूएम), लगभग 52,000 करोड़ रुपये की नेट वर्थ और 4.81 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बैलेंस शीट है।

रेलवे परिसंपत्तियों के वित्तपोषण में अपनी मुख्य भूमिका के अलावा, आईआरएफसी रेलवे के साथ मज़बूत फॉर्वर्ड और बैकवर्ड लिंकेज वाले क्षेत्रों में वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है जैसे कि बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन, खनन, ईंधन, कोयला, वेयरहाउसिंग, टेलीकॉम, होटल और खानपान आदि। कंपनी ने पहले ही एनटीपीसी के लिए 20 बीओबीआर रेक के लिए 700 करोड़ रुपये का वित्तपोषण प्राप्त कर लिया है, और हाल ही में एनटीपीसी की सहायक कंपनी पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (पीबीयूएनएल) के लिए ₹3190 करोड़ के ऋण के वित्तपोषण के लिए सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी घोषित की गई थी। इसके अतिरिक्त, एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एनटीपीसी जीईएल) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी एनटीपीसी रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (एनटीपीसी आरईएल) ने अपने प्रस्ताव के लिए अनुरोध के संबंध में रूपी टर्म लोन (आरटीएल) के वित्तपोषण के लिए आईआरएफसी की 7500 करोड़ रुपये की बोली स्वीकार कर ली है।

आईआरएफसी भारतीय रेलवे के ग्राहकों, कंटेनर ट्रेन ऑपरेटरों, भारतीय रेलवे की रिन्यूएबल एनर्जी आवश्यकताओं, मेट्रो रेल परियोजनाओं, बंदरगाह रेल संपर्क और भारतीय रेलवे द्वारा स्वीकृत पीपीपी परियोजनाओं के लिए रोलिंग स्टॉक आवश्यकताओं को निधि देने के अवसरों की भी खोज कर रहा है।