आईएसआईएस अब भारत में अपने पैर पसार चुका है. एक रिसर्च के मुताबिक, उसकी वेबसाइट देखने वालों में कश्मीर नंबर वन है. दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश, जबकि तीसरा नंबर महाराष्ट्र का है. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, यूपी, दिल्ली, बिहार, जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडू में इसका खतरा ज्यादा है. इनके निशाने पर 16 से 30 साल के युवा हैं.सोशल मीडिया के जरिए भारतीयों का ब्रेनवॉश हो रहा है.बताते चलें कि आईएसआईएस फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप के जरिए भारतीयों को बरगला रहा है, उनका ब्रेनवॉश कर अपने साथ जोड़ रहा है. इस ऑनलाइन नेटवर्क में विदेशों से भारतीयों को जोड़ने के लिए दहशतगर्दों की एक बड़ी ब्रिगेड काम कर रही है. इसमें आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का चीफ मौलाना अजहर मसूद भी शामिल है.
अबतक करीब 23 भारतीयों के आईएसआईएस में शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है. इसके बाद से भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं.आईएसआईएस भारत सहित दक्षिण एशियाई मुस्लिमों को इराक और सीरिया के संघर्ष में लड़ने के लायक नहीं समझता है. अरब के लड़ाकों की तुलना में कमजोर मानता है. एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश के साथ नाइजीरिया और सूडान के लड़ाकों को अरब के लड़ाकों की तुलना में कमजोर समझा जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया के लड़ाकों को छोटे बैरकों में ग्रुप में रखा जाता है. उन्हें कम पैसे दिए जाते हैं. कमतर हथियार उपलब्ध कराये जाते हैं. यहां के लड़ाकों को बहला-फुसलाकर आत्मघाती हमले के लिए उकासाया जाता है. आम तौर पर उनको विस्फोटकों से भरा एक वाहन दिया जाता है. फोन डायल करते ही वाहन में विस्फोट हो जाता है.