मुंबई, सीबीआई के अनुसार, आईडीबीआई बैंक अधिकारियों ने विजय माल्या को 950 करोड़ रुपये के लोन के लिए अपने बैंक के सभी सुरक्षा गाइडलाइंस को परे कर दिया था। रिपोर्ट के अनुसार, कितनी ही बार ऐसा समय आया जब किंगफिशर जैसी कर्ज में डूबी कंपनियां लोन के लिए आइडीबीआइ बैंक के अपने पैमाने पर खरा नहीं उतर रहा था लेकिन फिर भी माल्या की कंपनी को लोन दिया गया। किंगफिशर व उनकी कंपनियों को दिए गए कर्ज देने वाले 16 कर्जदाताओं में से एक आइडीबीआइ बैंक अपने 6,000 करोड़ से अधिक रकम के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है।
विभिन्न बैंकों के 9000 करोड़ रुपये के लोन डिफॉल्ट मामले में कई जांच शुरू होने के बाद विजय माल्या ने भारत छोड़ दिया। इस वक्त ब्रिटेन में मौजूद माल्या भारत लौटने से इंकार कर रहे हैं। पिछले हफ्ते सीबीआई ने पब्लिक सेक्टर बैंकों को होने वाली हानि व विजय माल्या से जुड़े लोन डिफॉल्ट मामले में आईडीबीआई बैंक और किंगफिशर एयरलाइंस के आठ पूर्व अफसरों को गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दायर कर दी है। सीबीआई सूत्रों का दावा है कि भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों की अनदेखी की गई और किंगफिशर की खस्ता माली हालत और कमजोर क्रेडिट रेटिंग के बावजूद लोन मंजूर किया गया।
सीबीआई के अनुसार, किंगफिशर ने 1 अक्टूबर, 2009 को 750 करोड़ रुपये के कॉरपोरेट लोन के लिए आईडीबीआई को आवेदन दिया। इस आवदेन के लंबित रहने के दौरान ही माल्या ने 150 करोड़ रुपये के शॉर्ट टर्म लोन की मांग को लेकर 6 अक्टूबर को तत्कालीन आईडीबीआई प्रमुख योगेश अग्रवाल से मुलाकात की। अगले ही दिन किंगफिशर ने आधिकारिक रूप से इस लोन के लिए आवदेन दिया और तत्काल यह मंजूर हो गया। 4, नवंबर को एक बार फिर किंगफिशर ने एक अन्य शॉर्ट टर्म लोन के लिए आईडीबीआई को आवेदन दिया, जो कि फिर उसी दिन मंजूर हो गया।
किंगफिशर के चीफ फाइनेंसियल ऑफिसर रघुनाथन ने माल्या और अग्रवाल की मीटिंग का जिक्र करते हुए आईडीबाई को खत लिखा, जिससे यह लोन उसी दिन पास हो गया। किंगफिशर के कॉरपोरेट लोन के आवेदन पर आईडीबीआई की क्रेडिट कमिटी उसी महीने बैठक करने वाली थी। इसके लिए किंगफिशर को अपने शेयरों को गिरवी रखना था, जो लोन के लिए एक अनिवार्य शर्त थी। लेकिन सीबीआई ने बताया कि 10 नवंबर को माल्या ने किंगफिशर सीएफओ रघुनाथन को मेल करके कहा कि शेयरों को गिरवी रखने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन्होंने खुद आईडीबीआई के सीएमडी से चर्चा कर ली है।
महीने की 24 तारीख को आईडीबीआई क्रेडिट कमिटी की इस बाबत बैठक हुई और योगेश अग्रवाल ने कथित रूप से माल्या की शर्तों को स्वीकार करते हुए ब्योरे को मंजूरी दे दी। सीबीआई ने यह भी दावा किया कि लोन के एक हिस्से के रूप में प्राप्त 263 करोड़ रुपये को देश से बाहर भेज दिया गया और इसका इस्तेमाल किंगफिशर के पुराने कर्ज को चुकाने के लिए किया गया।