नयी दिल्ली, कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच को लेकर आईसीआईसीआई बैंक ने उसके सवालों का जवाब दिया है जिससे पता चलता है कि श्रीमती बुच का टीडीएस भरकर बैंक ने आयकर नियमों का उल्लंघन किया है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में आईसीआईसी बैंक से पूछा है कि जिस तरह की सहूलियत श्रीमती बुच को दी गई है क्या इस तरह का लाभ बैंक के दूसरे कर्मचारियों को भी मिलता है। बैंक ने श्रीमती बुच के रिटायरमेंट होने के बाद भी उनकी ओर से ईएसओपी पर टीडीएस भारता है जो पूरी तरह से आयकर नियमों का उल्लंघन है।
श्री खेड़ा ने कहा “हमने कल के खुलासे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच और आईसीआईसी बैंक से सवाल पूछे थे और शतरंज के खेल के एक मोहरे यानी आईसीआईसी बैंक का जवाब आया है।”
उन्होंने कहा, “जब श्रीमती बुच आईसीआईसी से रिटायर हुईं तो 2013-14 में उन्हें 71.90 लाख रुपए की ग्रेच्युटी मिली और 2014-15 में उन्हें 5.36 करोड़ रुपए रिटायरमेंट कम्यूटेड पेंशन मिली लेकिन अगर 2014-15 में श्रीमती बुच और आईसीआईसी के बीच सेटलमेंट हो गया था और 2015-16 में उन्हें बैंक से कुछ नहीं मिला तो फिर 2016-17 में पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई। अब अगर 2007-2008 से 2013-14 तक की श्रीमती बुच की औसत सैलरी करीब 1.30 करोड़ रुपए थी लेकिन उनकी पेंशन का औसत 2.77 करोड़ रुपए है। ऐसी कौन-सी नौकरी है जिसमें सैलरी से ज्यादा पेंशन है। उम्मीद है कि माधवी पुरी बुच जवाब देंगी कि 2016-17 में तथाकथित पेंशन फिर से क्यों शुरु की गई। ध्यान रहे कि 2016-17 में उनकी 2.77 करोड़ रुपए की पेंशन तब फिर से शुरू हुई जब वह सेबी में पूर्णकालिक सदस्य बन चुकी थीं।”
प्रवक्ता ने कहा “आईसीआईसी कहता है कि उसके कर्मचारियों और रिटायर्ड कर्मचारियों के पास अपना ईएसओपी एक्सरसाइज करने की च्वाइस होती है। अमेरिका की एक वेबसाइट पर बैंक ने लिखा है कि अगर आईसीआईसी बैंक से खुद इस्तीफा दिया जाए तो, उसके तीन महीने के अंदर ही एएसओपी एक्सरसाइज किया जा सकता है लेकिन श्रीमती बुच इस्तीफा देने के आठ साल बाद भी ईएसोओपी चला रही हैं। आखिर इस तरह का लाभ आईसीआईसी के हर एम्पलाई को क्यों नहीं मिलता। बैंक ने श्रीमती बुच की ओर से ईएसओपी पर टीडीएस दिया है।”
उन्होंने कहा, “आईसीआईसी ने श्रीमती बुच की ओर से ईएसओपी पर टीडीएस दिया।
अब सवाल है कि क्या ऐसी नीति आईसीआईसी के तमाम अधिकारी और कर्मचारी के लिए भी है। अगर बैंक ने श्रीमती बुच की ओर से ईएसओपी पर टीडीएस दे दिया तो क्या वह उनकी की इनकम में न गिना जाए। अगर इनकम में है तो फिर टैक्स दिया जाना चाहिए, तो आईसीआईसी ने इस टीडीएस अमाउंट को टैक्स देने की आय में क्यों नहीं दिखाया।ये इनकम टैक्स एक्ट का उल्लंघन है।”