नाम-रामवृक्ष यादव
उम्र- ६० वर्ष
संगठन- स्वाधीन भारत सुभाष सेना
मकसद – आजाद हिंद सरकार की स्थापना।
प्रमुख मांगें –
१-देश में राष्ट्रपति और पीएम के चुनाव न हों।
२-भारतीय करंसी को खत्म कर दिया जाए।
मथुरा, रामवृक्ष यादव दो साल पहले अपने साथियों के साथ मध्य प्रदेश के सागर जिले से रवाना हुआ था। उसे दिल्ली प्रदर्शन करने जाना था। उसके साथ 3 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स ने जनवरी 2014 में सागर से संदेश यात्रा शुरू की थी। जगह नहीं मिली तो मथुरा में सरकारी बाग पर अपने सत्योग्रहियों के साथ डेरा डाल लिया था। एक तरह से 270 एकड़ के जवाहर बाग पर खुद को सत्याग्रही बताने वाले स्वाधीन भारत सुभाष सेना (SBSS) के एक्टिविस्ट्स ने कब्जा कर रखा था।
ये एक्टिविस्ट्स लड़ाके ज्यादा लगते थे। इनका मकसद था- आजाद हिंद सरकार की स्थापना। ये लोग यह भी चाहते थे कि देश में राष्ट्रपति और पीएम के चुनाव न हों। भारतीय करंसी को खत्म कर दिया जाए। ये आंदोलनकारी गुजरात, वेस्ट बंगाल, महारष्ट्र और ओडिशा में भी गए। आखिर में इन लोगों ने मथुरा के जवाहर बाग को अपना ठिकाना बना लिया। ज्यादातर फॉलोअर्स यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं।
रामवृक्ष, 260 एकड़ के इस इलाके में अपनी पैरलल सरकार चला रहा था। रामवृक्ष का अपना एक ज्यूडिशियल सिस्टम था। उसका अपना एक कॉन्स्टिट्यूशन, पीनल कोड, जेल और कई हथियारबंद ‘सैनिक’ थे। बाग में मर्सडीज जैसी महंगी गाड़ियां थीं। कैम्पस में कई जगह गड्ढे करके हथियार छुपाए गए थे। जितने लोग जवाहर बाग में रामवृक्ष के कैम्प में रह रहे थे, उन सबका रिकॉर्ड मेनटेन किया जा रहा था। इसमें उनका मोबाइल फोन नंबर, फोटो और दूसरी डिटेल थीं।
रामवृक्ष यादव कभी-कभी ही स्वाधीन भारत सुभाष सेनाके लोगों से मिलता था। सेना के लोगों को बाहरी दुनिया में घुलने-मिलने की इजाजत नहीं थी। लोगों को बाहर आने-जाने की इजाजत नहीं थी। बाहर जाने और अंदर आने के लिए पास लगता था।जवाहर बाग को रामवृक्ष यादव ने छावनी में तब्दील कर लिया था। उसकी मर्जी के बिना कोई बाग में आ-जा नहीं सकता था। पुलिस भी नहीं। उसकी दहशत ऐसी थी कि बाग में मौजूद कई अफसर अपने दफ्तर और सरकारी घर छोड़कर चले गए थे। जबकि यह जगह एक ओर पुलिस लाइन और एसपी ऑफिस और दूसरी ओर जज कॉलोनी से घिरी है। जवाहर बाग का एन्ट्रेंस एसपी ऑफिस से जुड़ा है। बाग के गेट पर तलवारधारी पहरा देते रहते थे। कॉलोनी के एक निवासी ने बताया कि अगर हम लोग छत पर जाते थे तो रामवृक्ष के लोग लाठी-डंडे, तलवार और पिस्टल दिखाते थे।
सेना के लोगों को सुबह 3 बजे उठना पड़ता था।आठ बजे दिन से सेवा कार्य की शुरुआत होती थी। इसमें वो ‘संकल्प है शहीदों का, देश भक्तों की मंजिल, स्वाधीन भारत का झंडा लहराने लगा’ जैसे गाने गाते थे। नहाना-पूजा-नाश्ते के बाद वे दिनभर आराम कर सकते थे। डिनर शाम 5 बजे ही हो जाता था। 50 महिलाएं सुबह-शाम खाना बनाती थीं। रामवृक्ष की कॉलोनी में हर सब्जी 5 रुपए किलो बिकती थी। इसके लिए रामवृक्ष सब्सिडी देता था।
बाबा जय गुरुदेव के निधन के एक साल के बाद फॉलोअर्स ने उन्हें सुभाष चंद्र बोस बताना शुरू कर दिया। ये भी कहा कि वो जिंदा हैं। रामवृक्ष यादव ने सभी लोगों को यहीं बाड़े में तब तक रहने के लिए कहा, जब तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस लौटकर नहीं आ जाते। रामवृक्ष यादव ने अपने सपोर्टर्स से कहा था कि वह नेताजी सुभाष चंद्र बोस से अगले 2 महीने में मुलाकात करेगा और उनके मिलते ही भारत का इतिहास बदल जाएगा। तब तक वे जवाहर बाग पर ही रुके रहें। इन लोगों से कहा गया था कि जल्द ही नेताजी खुद आंदोलन की बागडोर संभालेंगे। इसके बाद जल्द ही भारत से जंगलराज खत्म हो जाएगा। यादव ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि वह नेताजी को लोगों के सामने लाएगा। अगर वह ऐसा नहीं कर पाया तो उसे फांसी चढ़ा दें।