आजमगढ़, बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज आजमगढ़ रैली मे दलितों-पिछड़ों को खास संदेश दिया है। उन्होने कहा कि भाजपा की केंद्र और प्रदेश में चल रही जातिवादी व पूंजीवादी सरकार दलितों व पिछडों पर कहर ढा रही हैं। जातीय संघर्ष करवा कर वोटबैंक की राजनीतिक चाल चल रही हैं।
मायावती ने कहा है कि जब से केंद्र और उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य राज्यों में भाजपा और एनडीए की सरकार बनी है, उस वक्त से संघ की विचारधारा को लागू करने का काम जारी है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सोची समझी साजिश के तहत भाजपा ने सहारनपुर के शबिरपुर में दलितों के बीच संघर्ष कराया और मेरी हत्या की साजिश की, ताकि मेरे साथ बसपा का सफाया हो जाये। लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाए।’
उन्होंने आगे कहा कि राजयसभा में जब वह दलित उत्पीड़न की बात उठा रही थी तो उन्हें रोक दिया गया। इसलिये उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। बसपा प्रमुख ने बताया कि डाक्टर अम्बेडकर को भी संसद में नहीं बोलने दिया गया था। तो डाक्टर अम्बेडकर ने कानून मंत्री का पद छोड़ दिया था और उसी तरह मुझे भी दलित उत्पीड़न पर नहीं बोलने दिया, इस लिए मैंने राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया।
मायावती ने मण्डल कमीशन की रिपोर्ट की हकीकत बयान करते हुये कहा कि बीएसपी के तीन सांसदों के समर्थन की एवज में वीपी सिंह ने शर्त मानी थी। मायावती ने पिछड़े वर्ग के लोगों को आगाह करते हुये कहा कि मण्डल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने पर बीजेपी ने विरोध किया था। मायावती ने आरएसएस को आरक्षण विरोधी बताया।
मायावती ने कहा कि बीजेपी के लोग हिंदुत्ववादी मुद्दे पर अगला चुनाव लड़ने वाले हैं। उन्होने दलितों-पिछड़ों को खास संदेश देते हुये कहा कि बीजेपी मन्दिर निर्माण का दांव चल सकती है। मंदिर से ना तो रोजगार मिलेगा और ना ही भूख मिटेगी। अयोध्या में मंदिर बनने के बाद भी गरीबों व आम जनता को लाभ होने वाला नहीं है। उन्होने दलितों-पिछड़ों को आगाह करते हुए कहा कि ऐसे में बाबा साहब को केन्द्र बिन्दु मानकर अपने अधिकारों की चाबी लेनी होगी।
आजम गढ़ रैली की खास बात यह रही कि अपने करीब पौने दो घंटे के भाषण में मायावती ने कांग्रेस और भाजपा सरकार को निशाने पर रखा। लेकिन सपा या अखिलेश यादव के खिलाफ मायावती ने एक भी शब्द नहीं कहा।