लखनऊ, उत्तर प्रदेश में आज से ऑनलाइन शॉपिंग महंगी हो गई है। ई-कॉमर्स के माध्यम से मंगाई जाने वाली वस्तुओं पर अब पांच फीसदी प्रवेश कर भी देना होगा। अधिकारियों के मुताबिक, कर लगने की वजह से राज्य सरकार को लगभग 600 करोड़ रुपये सालाना राजस्व लाभ होने का अनुमान है। ज्ञात हो कि पिछले दिनों विधानासभा से पारित प्रवेश कर संबंधी विधेयक को राज्यपाल राम नाईक की हरी झंडी मिलने के बाद राज्य सरकार द्वारा इसे गुरुवार से लागू कर दिया गया। अब तक ई-कॉमर्स के जरिए दूसरे राज्य से मंगाए जाने वाले माल पर किसी तरह का टैक्स वसूलने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं था। ऐसे में मोबाइल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कपड़े आदि अपेकृक्षात काफी सस्ते होने से ई-कॉमर्स का दिन-प्रतिदिन चलन तो बढ़ता जा रहा था, लेकिन राज्य सरकार को किसी तरह का टैक्स नहीं मिल रहा था।
वाणिज्य कर आयुक्त मुकेश मेश्राम के मुताबिक, राज्य में तकरीबन 10-12 हजार करोड़ रुपये की सालाना ऑनलाइन शॉपिंग हो रही है, जिसमें वर्ष 2020 तक चार गुना इजाफा होने का अनुमान है। पांच फीसदी प्रवेश कर से सरकार को सालाना 500-600 करोड़ रुपये राजस्व लाभ मिलने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि वाणिज्य कर विभाग ने ई-कॉमर्स को प्रवेश कर के दायरे में लाने के साथ ही उस पर पांच फीसदी टैक्स वसूलने संबंधी अधिसूचना बुधवार को ही जारी कर दी थी। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, उत्तर प्रदेश स्थानीय क्षेत्र में माल के प्रवेश पर कर अधिनियम के तहत अब ऑनलाइन शॉपिंग या ई-कॉमर्स के माध्यम से प्रदेश के बाहर से मंगाए जाने वाले माल पर पांच फीसदी टैक्स (वैट एक्ट के तहत टैक्स फ्री यानी कर मुक्त वस्तुओं को छोड़कर) लगेगा।