विशेष विमान से, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि आतंकवाद ने महामारी का रूप ले लिया है और इससे प्रत्येक समाज प्रभावित है। उन्होंने कहा कि कुछ देश आतंकवाद को परिभाषित करने के विषय पर कानूनी तकनीकी पहलुओं का हवाला देते हुए इस पर प्रतिबद्धता व्यक्त करने से बचने का प्रयास कर रहे हैं।
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आर्मीनिया और पोलैंड की दो दिवसीय यात्रा से लौटते हुए विशेष विमान में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद ने महामारी का रूप ले लिया है और इससे प्रत्येक समाज प्रभावित है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देश आतंकवाद की समस्या का सामना कर रहा है कुछ कम, कुछ ज्यादा और वे सभी इस समस्या से सभी भलीभांति परिचित हैं।
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अंसारी ने बताया कि जब वह 1994 में न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि थे,तब भारत ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि (सीसीआईटी) का प्रस्ताव पेश किया था लेकिन आतंकवाद को परिभाषित करने के संबंध में विभिन्न देशों की सोच में अंतर के कारण यह प्रस्ताव अटक गया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समझौता करते समय कई तरह की कानूनी समस्याएं सामने आती हैं लेकिन जो लोग इसे साकार नहीं होते देखना चाहते हैं, वे कानूनी तकनीकी पहलुओं का हवाला देते हैं।
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आतंकवादी को परिभाषित करने के संबंध में उन्होंने कहा, यह कुछ देशों की ओर से इस विषय पर प्रतिबद्धता व्यक्त करने से बचने के संबंध में दी जाने वाली दलील है। उपराष्ट्रपति से अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि को अंगीकार किये जाने से जुड़ी समस्याओं के बारे में पूछा गया था। अपनी आर्मीनिया और पोलैंड की यात्रा को सार्थक करार देते हुए अंसारी ने कहा कि दोनों देश भारत के मित्र देश हैं और हम आपसी सहयोग के विषय पर अपने रिश्तों में नई ऊर्जा भरने में सफल रहे।