लखनऊ , मानव विकास को धार्मिक व्यवस्था के रूप में जीवन से जोड़ने वाले आदिशिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती के मौके पर कल समूचा उत्तर प्रदेश श्रद्धा के समंदर में गोते लगायेगा।
लखनऊ, कानपुर, मुरादाबाद, भदोही, वाराणसी, बरेली और इलाहाबाद समेत राज्य भर में विश्वकर्मा पूजा के लिये तैयारियां पूरे शवाब पर हैं। पूजा भंडारों में पूजन सामग्री के लिये लोगों की कतारें लगी हुयी थी वहीं फल और मिठाइयों की दुकानों में आम दिनों की अपेक्षा आज ज्यादा भीड़भाड़ दिखी। कारखानो और प्रतिष्ठानों में सजावट को अंतिम रूप दिया जा रहा था।
साप्ताहिक अवकाश का दिन होने के कारण कई प्रतिष्ठानो में विशेष रूप से कर्मचारियों को आमंत्रित किया गया है।
हिंदू धर्म ग्रंथों में यांत्रिक, वास्तुकला, धातुकर्म, प्रक्षेपास्त्र विद्या, वैमानिकी विद्या का अधिष्ठाता विश्वकर्मा को माना गया है। मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा ने मानव को सुख.सुविधाएं प्रदान करने के लिए अनेक यंत्रों व शक्ति संपन्न भौतिक साधनों का निर्माण किया। माना जाता है कि प्राचीन समय में स्वर्ग लोक, लंका, द्वारिका और हस्तिनापुर जैसे नगरों के निर्माणकर्ता भी विश्वकर्मा ही थे।
मान्यता है कि विश्वकर्मा ने ही इंद्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पांडवपुरी, सुदामापुरी और शिवमंडलपुरी आदि का निर्माण किया। पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएं भी इनके द्वारा निर्मित हैं। कर्ण का कुंडलए विष्णु का सुदर्शन चक्रए शंकर का त्रिशूल और यमराज का कालदंड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है।