नई दिल्ली,केंद्र सरकार ने आम लोगों को भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने की क्षमता से लैस करने का फैसला लिया है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुब्रमण्यम स्वामी बनाम पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं अन्य के मामले में दिए गए फैसले के बाद उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मौजूदा कानूनी प्रावधान नागरिकों को अपराध करने वाले लोक सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने से नहीं रोकता है। इस फैसले के बाद कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को आईएएस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने की अर्जी मिलने लगी है। अनुमति मांगने वालों ने न तो उचित तरीके से प्रस्ताव रखा है और न ही आरोपों के समर्थन में दस्तावेज सौंपे हैं। पाया गया है कि नागरिकों से प्राप्त अनुरोध की प्रकृति सामान्य शिकायत जैसी है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने गुरुवार को अपने दिशानिर्देश का मसौदा जारी किया है। विभाग ने कहा है शिकायती अर्जियों को देखते हुए मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने की प्रक्रिया सरल बनाने का फैसला लिया गया है। इसमें जांच एजेंसी से मिले मामले के बुनियादी मापदंड और उसकी जरूरतों को ध्यान रखा गया है। विभाग ने सभी केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों को प्रस्तावित दिशानिर्देश पर 12 अगस्त तक अपनी टिप्पणी भेजने के लिए कहा है। मसौदे के मुताबिक, आईएएस अधिकारी जिस राज्य में सेवारत हैं उस राज्य सरकार के माध्यम से उनपर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी जा सकती है। शिकायत के दायरे में आ रहे लोक सेवक के बारे में बुनियादी सूचनाएं उपलब्ध कराने की सबसे उपयुक्त जगह संबंधित राज्य सरकार ही होती है। इसका कारण यह है कि लोक सेवक राज्य सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करते हैं या कर चुके होते हैं। मसौदे में कहा गया है कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के पास सीधे आए प्रस्ताव को प्रारंभिक जांच के लिए संबंधित राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। किसी आईएएस अधिकारी के खिलाफ पहली नजर में मामला बनता है तो राज्य सरकार विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर संबंधित अधिकारी का बयान लेने पर विचार करेगी। सभी प्रासंगिक रिकार्ड और सबूतों के साथ ऐसी रिपोर्ट कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को अग्रसारित किया जाएगा। अग्रसारित करने के लिए वहां के सक्षम प्राधिकार से मंजूरी ली जाएगी। यदि संबंधित राज्य सरकार को पहली नजर में कोई मामला बनता नहीं दिखता है तो वह मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने वाले को सूचित करेगी। पहली नजर में मामला बनने पर मौजूदा प्रक्रिया के अनुसार अनुरोध को प्रस्ताव की तरह लिया जाएगा।