हैदराबाद , सेना तथा अन्य अर्द्धसैनिक बलों केे लिए गोला बारूद बनाने वाले देश भर के आयुध कारखाने के निजीकरण योजना के विरोध में इन कारखानों में एक लाख से भी अधिक कर्मचारियों का हड़ताल शुक्रवार को चौथे दिन भी जारी रहा।
इन कारखानों की शीर्ष संस्था आयुध कारखाना बोर्ड (ओएफबी) के प्रस्तावित ‘निजीकरण’ योजना के विरोध में विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने 20 अगस्त से एक माह के हड़ताल का आह्वान किया है। मंगलवार से जारी हड़ताल का साफ अंदाजा इन कारखानाओं में बुरीतरह प्रभावित उत्पादन को देखकर भी लगाया जा सकता है।
हड़ताल में ना केवल 82 हजार स्थाई कर्मचारी शामिल हैं बल्कि इनके अलावा 40 हजार ठेका श्रमिक भी इसमें सक्रिय तौर पर भाग ले रहे हैं। कोलकाता में ओएफबी के अलावा तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और चंडीगढ़ के आयुध कारखानों में हड़ताल पूरी तरह सफल है।
बीस अगस्त से 19 सितंबर तक हड़ताल पर रहने का आह्वान तीन प्रमुख ट्रेड यूनियनों – अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ), भारतीय राष्ट्रीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (आईएनडीडब्ल्यूएफ) और भारतीय मजदूर संगठन समर्थित भारतीय प्रतापी मजदूर संघ (बीपीएमएस) ने किया था।
हड़ताल से पहले ट्रेड यूनियनों और केंद्र सरकार के बीच सोमवार को आयुध कारखानों के ‘निजीकरण’ के खिलाफ आयोजित बातचीत विफल रही थी। ट्रेड यूनियनों ने कहा कि ‘कॉरपोरेटाइजेशन’ प्रक्रिया को रोकने के उनके अनुरोध को केंद्र द्वारा नहीं माना गया और इसलिए तीनों प्रमुख ट्रेड यूनियनों को हड़ताल का आह्वान करना पड़ा। रक्षा उत्पादन विभाग के सचिव अजय कुमार ने बीएमएस समर्थित बीपीएमएस और रक्षा मंत्रालय की ओर से मान्यता प्राप्त संघों के नेताओं से विचार-विमर्श किया।