नयी दिल्ली, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ;आरएसएसद्ध के नेता इंद्रेस कुमार ने कहा है कि उर्दू का घर हिंदुस्तान है और कोई उसका बाल बांका नहीं कर सकता है। कुमार ने यहाँ तीन दिवसीय उर्दू कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा यह जुबान यहीं पैदा हुई थी। उर्दू का घर हिन्दुस्तान था और है एवं कल भी यह घर रहेगा। इस जुबां का कोई बाल बांका नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा कि 1857 में जब आज़ादी की पहली लड़ाई लड़ी गयी थी तब उर्दू जाननेवालों ने अपना बड़ा योगदान किया था। उन्होंने कहा कि किसी मजहब में कट्टरता के लिए कोई स्थान नहीं है बल्कि धर्म तो मनुष्य को इंसान बनाता है। राष्ट्रीय उर्दू परिषद् के निदेशक डॉण् शेख अकील अहमद ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर उर्दू को लागू करने से ही यह जुबां फल फूल सकेगी और उसका विस्तार हो सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर पूर्व राज्यों और गोवाए अंडमान निकोबार में उर्दू की काफी सम्भावनायें हैं तथा परिषद् उसके विकास के लिए अनेक कार्यक्रम कर रही है।
मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालयए जोधपुर के कुलपति अख्तर उल वासे ने कहा कि उर्दू की जरुरत सरकारी दफ्तरों से अधिक उर्दू जानने वालों के घरों में हैं। उन्होंने सवाल किया कि किसने इन लोगों को अपने घर में उर्दू बोलने पढ़ने से मना किया हैं और अपने बच्चों को उर्दू पढ़ाने से मना किया है। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि उर्दू सीखने के लिए कोई टीचर नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि उर्दू के टीचरों की कमी नहीं है लेकिन उनके पद खाली हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव मनोरंजन कुमार ने कहा कि उर्दू मुल्क की तहजीब की पहचानए जुबान है। वह शराफत और शरारत के बीच एक पूल कायम करती हैए उसने फिल्मों के जरिये लोगों का मनोरंजन भी किया है।
सम्मलेन में अमेरिकाए ब्रिटेनए कनाडाए रूसए फ्रांसए जर्मनीए जापान समेत 15 मुल्कों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।