लखनऊ, आरक्षण सर्मथकों का कहना है कि विधानसभा चुनाव 2017 में आरक्षण समर्थक संगठन, सपा सरकार को सत्ता से बेदखल करेंंगे।आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति की प्रान्तीय कार्यसमिति में आज यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि समाज में यह जागरूकता पैदा करना बहुत जरूरी है कि सपा और भाजपा दोनों पार्टियां गुपचुप तरीके से मिलीभगत कर पूरे देश में आरक्षण के खिलाफ एक मुहिम चला रही हैं। इसलिए इन दोनों पार्टियों को भविष्य में किसी भी राज्य में सत्ता में नहीं आने देना है।संघर्ष समिति द्वारा देश के लगभग 12 राज्यों के कर्मचारी नेताओं व आरक्षण समर्थक संगठनों से वार्ता अन्तिम दौर में है और जल्द ही एक साझा महागठबंधन उ.प्र. में विधानसभा चुनाव से पहले सामने आयेगा। यह सपा सरकार को सत्ता से बेदखल करने का शंखनाद करेगा और विधानसभा चुनाव 2017 में अपना अहम योगदान देगा। संघर्ष समिति की कार्यकारिणी ने देश के अन्य राज्यों में कार्मिक संगठनों से वार्ता कर आरक्षण समर्थक कार्मिक महागठबंधन को अन्तिम रूप देने के लिए केन्द्रीय संयोजक अवधेश कुमार वर्मा, इं आर पी केन, अनिल कुमार व अन्जनी कुमार को अधिकृत किया गया है जो जल्द ही पूरी रणनीति बनायेंगे।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजकों अवधेश कुमार वर्मा, इं के बी राम, डाॅ. रामशब्द जैसवारा, आर पी केन, अनिल कुमार, श्याम लाल, अन्जनी कुमार, रीना रजक, दिनेश कुमार, अशोक सोनकर ने कहा कि यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि 2 साल होने को है और केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा लम्बित बिल को पास कराने की दिशा में कोई भी सार्थक प्रयास नहीं किये गये। उसी का सहारा लेकर उ.प्र. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आड़ में हर विभाग में दलित कार्मिकों का उत्पीडन कराया उन्हें रिवर्ट कराया और यह कारनामा अभी भी लगातार जारी है। केन्द्र की मोदी सरकार मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रही है। संघर्ष समिति के नेताओं ने कहा कि पदोन्नतियों में आरक्षण की लड़ाई देश के दलित समाज के लिए सम्मान की लड़ाई है। जब तक इस लड़ाई को देश का दलित समाज नहीं जीतता, तब तक वह समाज की मुख्य धारा में नहीं आ पायेंगे।