नयी दिल्ली, केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने वर्ष 2022 में समाज के कमजोर वर्गों के लिए अनेक कार्यक्रम एवं योजनायें संचालित कीं जिनमें सरकार के प्रयासों से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए नौकरियों एवं शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण को जारी रखने और नशा मुक्ति अभियान जैसे प्रमुख कार्यक्रम हैं।
सरकार की कोशिशों के कारण, संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम 2019 के माध्यम से संविधान में नये अनुच्छेद 15(6) और 16(6) को शामिल किया गया। ये अनुच्छेद राज्यों को सरकारी नौकरियों और सरकारी शैक्षिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत तक का आरक्षण प्रदान कराते हैं। इसके आधार पर सरकार द्वारा ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की योजना जनवरी 2019 में लागू की गई। संविधान 103वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में कई रिट याचिकाएं दायर की गई थीं। प्रमुख मामला 2019 का रिट याचिका 55 है-जनहित अभियान बनाम भारत संघ। इन सभी मामलों को उच्चतम न्यायालय ने संविधान पीठ के पास विचार के लिए भेजा था। संविधान पीठ ने दिनांक सात नवंबर 2022 को बहुमत के फैसले से संविधान 103वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा है और सभी रिटों को खारिज कर दिया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय अगले वर्ष मई में गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग के साथ मिलकर 18 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में 17,000 सीमावर्ती गांवों में नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) की शुरुआत करेगा। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 15 अगस्त 2020 को एनएमबीए की शुरुआत की थी और व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण के निष्कर्षों और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) से प्राप्त इनपुट के आधार पर इसे 372 कमजोर जिलों में पहले लागू किया जा रहा है। आध्यात्मिक/समाजसेवी जैसे चिन्मय मिशन, आर के मिशन, आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन, ब्रह्माकुमारी और संत निरंकारी मिशन जैसे संगठन सक्रिय रूप से एनएमबीए को समर्थन देते हैं।
मंत्रालय के अनुसार अब तक जमीनी स्तर पर आयोजित विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से तीन करोड़ से अधिक युवाओं और दो करोड़ से अधिक महिलाओं सहित 9.3 करोड़ से अधिक लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरुक किया गया है। एनएमबीए में 2.7 लाख से ज्यादा शैक्षिक संस्थानों की भागीदारी की है। आठ हजार से ज्यादा मास्टर स्वयंसेवकों (एमवी) की पहचान की गई और उन्हें एनएमबीए का नेतृत्व करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। एनएमबीए के आधिकारिक ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया एकाउंट के माध्यम से भी नशे के विरुद्ध जागरुकता फैलाने का काम किया जा रहा है।
मंत्रालय के अनुसार अब तक हरियाणा के विभिन्न जिलों के जेल परिसरों में 15 नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किए गए हैं, और त्रिपुरा राज्य के जेल परिसर में एक नशा मुक्ति केंद्र स्थापित किया गया है। परामर्श, उपचार और पुनर्वास सेवाओं को व्यापक पहुंच प्रदान करने के लिए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय गैप जिलों में जिला नशा मुक्ति केंद्र (डीएसी) और सरकारी अस्पतालों में व्यसन उपचार सुविधाओं (एटीएफ) की स्थापना करेगा। 99,595 शैक्षणिक संस्थानों के 1.67 करोड़ से ज्यादा छात्रों ने राष्ट्रीय नशा मुक्त प्रतिज्ञा में हिस्सा लिया।
मंत्रालय की ओर से वित्तीय वर्ष 2022-23 से अनुसूचित जाति और अन्य के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं को ऑनलाइन क्रियान्वित किया जाएगा और एपीबीएस के माध्यम से प्रत्यक्ष लाभार्थी हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से सीधे लाभार्थी के खाते में केंद्रीय सहायता का भुगतान किया जाएगा। 2022-23 से, अनुसूचित जातियों और अन्य लोगों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति योजनाओं का संचालन ऑनलाइन किया जाएगा और एपीबीएस के माध्यम केंद्रीय सहायता राशि का भुगतान सीधे प्रत्यक्ष लाभार्थी हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से लाभार्थियों के खाते में किया जाएगा।
वित्त वर्ष 2022-23 से, अनुसूचित जातियों के लिए पोस्ट और प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत, छात्रों के सत्यापन की सभी प्रक्रिया बिना किसी मैनुअल प्रक्रिया के डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हुए स्वचालित रूप से प्रमाणित डेटाबेस का उपयोग करके की जाएगी। वित्त वर्ष 2022-23 से प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत, ऑनलाइन एंड टू एंड प्रोसेसिंग, ऑनलाइन लेन-देन के माध्यम से पात्रता के सत्यापन में ज्यादा पारदर्शिता सुनिश्चित करने, संस्थानों द्वारा दोहरेपन और गलत दावों को नियंत्रित करने का काम शुरू किया गया है।
मंत्रालय के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 से, योजनाओं का सुचारु और प्रभावी कार्यान्वयन करने के लिए उपर्युक्त दोनों योजनाओं के लिए लाभार्थियों की प्रमाणिकता का सत्यापन करने के लिए राज्य के छात्रवृत्ति पोर्टलों पर छात्रवृत्ति आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं।वर्ष 2022 में इस विभाग द्वारा प्राप्त भौतिक और वित्तीय उपलब्धियाें में प्रमुख रूप से वर्ष 2022 में राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति (एनओएस) के अंतर्गत सीटों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 कर दी है।
मंत्रालय ने वर्ष 2022 (जनवरी-नवंबर, 2022) के दौरान, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एनबीसीएफडीसी) ने 1,28,409 लाभार्थियों के बीच 418 करोड़ रुपये का वितरण किया है।वर्ष 2022 के दौरान गैर-सरकारी संगठनों/संगठनों को वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम योजना के अंतर्गत 75.63 करोड़ रुपये कुल अनुदान प्रदान किया गया।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग (डीओएसजेई) अनुसूचित जाति आदि के लिए राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति (एनओएस) लागू कर रहा है, जिसके अंतर्गत अनुसूचित जातियों के चयनित छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, गैर अधिसूचित, घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू जनजातियां, भूमिहीन कृषि मजदूर और पारंपरिक कारीगर श्रेणियों को विदेशों में परास्नातक और पीएचडी स्तर के पाठ्यक्रम करने के लिए छात्रवृत्ति दी जाती है। छात्रों का चयन संस्थानों की शीर्ष 500 क्यूएस अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग की योग्यता के आधार पर किया जाता है, जिस संस्थानों में उन्होंने 2021-22 से नामांकन प्राप्त किया है। एनओएस योजना की भौतिक/वित्तीय उपलब्धियां इस प्रकार हैं..वर्ष 2022-23 के दौरान 125 उम्मीदवारों का चयन किया गया, जिसका मतलब यह है कि सभी उपलब्ध सीट पूरी तरह से भरी हुई थीं। 2021-22 के दौरान, आवंटित राशि को 30 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 35 करोड़ रुपये कर दी गयी। 2022-23 के लिए बीई 36 करोड़ रुपये है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय फेलोशिप (एनएफएससी) योजना का उद्देश्य अनुसूचित जातियों के छात्रों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालयों/संस्थाओं/कॉलेजों में विज्ञान, मानविकी और सामाजिक विज्ञान विषयों में एमफिल, पीएचडी के लिए उच्च अध्ययन प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता के रूप में फेलोशिप प्रदान करना है। विभाग इसके अलावा अनुसूचित जातियों और कमजोर वर्गों के लिए अनेक योजनायें संचालित कर रहा है।