बस्ती, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि आजादी की लड़ाई में आर्य समाज ने स्वदेशी आंदोलन को जन्म दिया था उसमें आर्य समाज के अनेकों-अनेक आर्य वीर दल ने भाग लेकर आजादी के आन्दोलन को आगे बढ़ाया था।
यहां स्टेशन रोड स्थित एक निजि अतिथि ग्रह के प्रांगण मे आयोजित आर्य समाज,नई बाजार बस्ती की स्वर्ण जयंती समारोह को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित करते हुए श्री योगी ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती के उपदेशों को अपनाया जाए। अंग्रेजों द्वारा जब धर्मांतरण कराया जा रहा था उस समय आर्य समाज आगे आकर लोगों को जागरूक करा रहा था , आजादी की लड़ाई में आर्य समाज की अहम भूमिका है। सर्व समाज को शिक्षित करने के लिए आर्य समाज ने जो अलख जगाई थी उसका विस्तारीकरण करने के लिए सरकार पूरी तरह से कटिबद्ध है। महर्षि दयानंद सरस्वती ने वैदिक प्रार्थना का शुभारंभ कराया जिसको आर्य समाज निरंतर आगे बढ़ा रहा है। वर्ष 1886 में डीएवी (दयानंद एंग्लो वैदिक) स्कूल अस्तित्व में आया पहला डीएवी स्कूल लाहौर में स्थापित किया गया और महात्मा हंसराज इसके प्रधानाध्यापक हुआ करते थे।
उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती के उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आर्य वीर दल अभी से तैयारी करें और आर्य समाज के 150 वी वर्ष गांठ को भव्य ढंग से मनाये। महर्षि दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना करके वर्षों से सोई हुई इस देश की आत्मा को जागृत करने का काम किया , इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है । जिस जमाने में स्वराज, स्वभाषा और स्वधर्म बोलना भी पाप था, उस जमाने में महर्षि दयानंद ने निर्भीकता के साथ इनका प्रचार-प्रसार करके अनेक लोगों को इससे जोड़ने का काम किया था। आज हमें उनके बताए हुए उपदेशों को अपना कर देश को विकास की ओर ले जाना है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में आर्य समाज नई बाजार के प्रधान ओमप्रकाश आर्य द्वारा आर्य समाज को जागरूक करने के साथ-साथ हर घर यज्ञ करवाने का जो कार्य किया जा रहा है बहुत ही प्रशंसनीय है। 1995 से आज तक मै 16 बार आर्य समाज के कार्यक्रम मे आया हूं। उनके द्वारा पारिवारिक समस्याओं को दरकिनार करके आर्य समाज के उपदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जो कार्य किया जा रहा है एक दिन यह कार्य मिल का पत्थर साबित होगा। आर्य समाज से सभी लोग निरंतर जुड़ रहे हैं। दलितो के उद्धार में सबसे पहला कदम आर्यसमाज ने उठाया था । बालिकाओं की शिक्षा की जरूरत सबसे आर्यसमाज नेे समझी थी। वर्ण व्यवस्था को जन्मगत न मानकर कर्मगत सिद्ध करने का सेहरा उसके सिर है। जाति भेदभाव और खानपान के छूतछात और चैके-चूल्हे की बाधाओं को मिटाने का गौरव उसी को प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने अपनी स्थापना से ही सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आंदोलन का शंखनाद किया।स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना के पीछे उपरोक्त सामाजिक नवजागरण को मुख्य आधार बनाया। जब अंग्रेजों द्वारा धर्मांतरण कराया जा रहा था तब आर्य समाज द्वारा वेद,पुराण की बातों को लोगो तक पहुंचाया जाता था।
आर्य समाजी जनों में स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी श्रद्धानंद, महात्मा हंसराज, महात्मा आनंद स्वामी जी, लाला लाजपत राय, भाई परमानंद, राम प्रसाद बिस्मिल, पंडित गुरुदत्त इत्यादि नाम लिए जा सकते हैं। 1927 में रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जेल मे अशफाक उल्ला खान को फैजाबाद जेल और रोशन सिंह को इलाहाबाद में फांसी दी गई जिनके वलिदान को भुलाया नही जा सकता है।
उन्होने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी ने देश भर के अकादमिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों से समाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ ही उनके द्वारा स्थापित आर्य समाज के योगदान पर शोध कार्य करने का आह्वान किया है।इस शोध से देश को बहुत कुछ मिलेगा तथा हमारा सामाज और जागरूक होगा।