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इटावा में तर्पण के लिए अस्थियों को है अपनो का इंतजार

इटावा, देश भर में इन दिनों पितृ विसर्जन और श्राद्ध पक्ष के बहाने लोग अपने पूर्वजों और पुरखो को याद कर है लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना नदी के किनारे बने शमशान घाट में करीब 22 की संख्या में पोटलियों में बांध कर रखी गई अस्थियों को आज भी अपनों के आने का इंतजार है।

पोटलियों में बांधकर रखी गई अस्थियां तर्पण का इंतजार कर रही है लेकिन उन्हें अपना कोई मिल ही नहीं पा रहा है जो उनका तर्पण कर पा सके।

पितृपक्ष में भले ही अपने पूर्वजों के स्वर्गवास के बाद हर दिन जल चढ़ाने के साथ ही पुरोहितों की खाना खिला रहे हों परंतु कुछ के परिजन तो ऐसे भी हैं जिन्होंने अंतिम संस्कार करने के बाद उनके अस्थि कलशों को विसर्जित करने की सुध नहीं ली। दो से चार महीने नहीं बल्कि 6 वर्षों से अस्थि कलश यहां रखे हुए हैं।

इटावा शहर के यमुना तट स्थित श्मशान घाट पर 22 से अधिक कलश आज भी विसर्जन के लिए अपनों का इंतजार कर रहे हैं। उनके परिजनों को इसके लिए कई बार फोन मिलाया गया, लेकिन कोई अस्थियों को लेने ही नहीं पहुंचा। ऐसे में शमशान घाट में बने लॉकर में जगह तक नहीं बची हैं। इससे वहां रहने वाले व्यवस्थापक को मजबूरन अब दूसरी जगह अस्थि कलश रखवाने पड़ रहे हैं।

श्मशान घाट के व्यवस्थापक प्रबंधक चंद्रशेखर ने बताया कि कई कलश विसर्जन के लिए रखे हैं। इन्हें लेने वाला कोई नहीं है। जब अस्थिकलश रखवाने वाले परिजनों फ़ोन करते हैं तो जवाब मिलता है कि दो चार दिनों में कलश ले जाकर विसर्जित कर देंगे, लेकिन इसके बाद भी आता कोई नहीं है। चंद्रशेखर ने बताया कि वह कलशों के साथ-साथ उनके परिजनों के नाम, यहां तक फोन नंबर तक सुरक्षित रखे हुए है ताकि मृतकों के परिजनों को परेशानी न हो।
श्मशान घाट के व्यवस्थापक प्रबंधक ऐसा बताते हैं कि साल 2018 से यह अस्थियां पोटलियों में बनी हुई रखी है कई-कई बार लोगों को फोन भी किए गए हैं लेकिन कोई भी इनको लेने आने को तैयार नहीं है।

सनातन परंपरा के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि अगर वाकई में अस्थियों का तर्पण या विसर्जन नहीं किया जाएगा तो इसका असर पारिवारिक पृष्ठभूमि पर जरूर पड़ेगा।
यमुना घाट स्थित महंत किशन स्वरूप दुबे का कहना है कि भगवान और ईश्वर से पहले माता पिता की भूमिका मानी जाती है। महंत किशन स्वरूप ने बताया कि जिनकी अस्थियां रखी है वह मोक्ष से विहीन है। अभी पितृ पक्ष चल रहा है इसलिए जिसकी अस्थियां रखीं हैं वह लोग आकर इनका विसर्जन कर दे। किसी भी व्यक्ति के कल्याण में उनके पितरों का आशीर्वाद होता है ऐसे में यदि उनको विसर्जित कर देते है तो उनका आशीर्वाद मिलेगा और कल्याण होगा। स्थानीय वासी रामस्वरूप दुबे ने बताया कि सनातन धर्म के अनुसार यदि मृतक की अस्थियों को विसर्जित नही किया जाता तो उनकी संतानों को कष्ट भोगने पड़ते हैं।