इस अफवाह से यूपी के कई जिलों मे मचा हड़कंप, दलित-मुस्लिम- जाट निशाने पर
December 21, 2017
लखनऊ, यूपी मे एकबार फिर सोशल मीडिया का दुरूपयोग कर अफवाहों का बाजार गरम किया जा रहा है। निशाने पर दलित और मुस्लिम समाज है। अफवाहें फैलाकर दलित और मुस्लिम समाज मे दहशत भरने की कोशिश की जा रही है।
अफवाह फैलाई जा रही है कि उत्तर प्रदेश के पांच जिले हरियाणा और उत्तराखंड राज्य में मिलने जा रहे है। अफवाह में दावा यह किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर व बिजनौर को उत्तराखंड और शामली, मुजफ्फरनगर व मेरठ को हरियाणा में शामिल किया जाएगा. इन पांचों जिलों को यूपी से अलग कर दिया जायेगा।
इसके लिये सोशल मीडिया का दुरूपयोग किया जा रहा है। व्हाट्सअप के जरिए भेजे जा रहे मैसेज में कहा जा रहा है कि जल्द ही केंद्र की मोदी सरकार हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर बड़ा फैसला लेने जा रही है।अफवाह में यह भी कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फैसला लेने से दो माह पहले तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के अलावा प्रमुख सचिवों के साथ बैठक भी कर चुके हैं।इस पर फैसला लिया जा चुका है और 31 मार्च तक यह सबके सामने आ जाएगा।
अफवाहों में यह बताया जा रहा है कि यूपी के पांच जिलों के विभाजन से भाजपा को काफी फायदा होगा। इस फैसले से उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग और हरित प्रदेश की बात खत्म हो जाएगी। साथ ही हाईकोर्ट के आदेश पर भी विराम लग जाएगा।इस फैसले से नुकसान उत्तर प्रदेश की तीन पार्टियों को होगा। बसपा और आरएलडी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। सपा को भी तगड़ा ंझटका लगेगा।
उत्तर प्रदेश के ये पांचों जिले दलित, मुस्लिम और जाट बाहुल्य हैं। ये उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। जाट लाबी के नाम पर अजित सिंह की राजनीति चलती है। अगर शामली, मेरठ और मुजफ्फनगर हरियाणा में चले जाते हैं, तो उत्तर प्रदेश से अजित सिंह की जाटों वाली राजनीति खत्म हो जाएगी।हरियाणा में ये लोग सरकार बनाने या गिराने की स्थिति में नहीं होंगे।
सहारनपुर और बिजनोर के उत्तराखंड में जाने से सूबे में बसपा का अस्तित्व कमजोर पड़ जाएगा। साथ ही उत्तराखंड में भी सरकार बनाने में इनकी भूमिका नगण्य रह जाएगी और उत्तर प्रदेश में बीजेपी इनके जाने से तनाव से दूर हो जाएगी। खास बात यह है कि सिर्फ केंद्र में ही नहीं, बल्कि इन तीनों राज्यों में बीजेपी की ही सरकारें हैं।