दुनियाभर में हर साल 54 लाख लोग तंबाकू सेवन से मर रहे हैं। औसतन हर छह सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है, जिसमें हर 10वां व्यक्ति वयस्क है। आमतौर पर धूम्रपान की लत के पीछे व्यक्ति की मानसिक स्थिति की बड़ी भूमिका होती है। इससे निकोटिन की लत छुड़ाने वाले विकल्प नाकामयाब हो जाते हैं। प्राण योगा के योग एक्सपर्ट दीपक झा के अनुसार नियमित योग से लत को ही नहीं, शरीर पर दुष्प्रभाव को भी दूर किया जा सकता है।
योगासन और श्वास व्यायामों से धूम्रपान का प्रभाव कम होता है, साथ ही फेफड़ों की दशा में सुधार भी होता है। ध्यान और शुद्धि विषाक्त पदार्थों को शरीर से दूर कर कोशिकाओं को उत्साहित करते हैं। प्राणायाम से शरीर चुस्त रहता है, तनाव और चिंता दूर होती है तथा आत्म-विश्वास भी बढ़ता है।
सिगरेट के धुएं से निकलने वाला विषाक्त पदार्थ शरीर में प्रवेश कर खून को मोटा बनाता है और धीरे-धीरे एक थक्के के रूप में जम जाता है। रक्त धमनियों को संकरा कर अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त परिसंचरण की मात्रा को कम कर देता है। यह ब्लड प्रेशर और हृदय की गति पर भी असर डालता है।
(शोल्डर स्टैंड)ः सर्वांगासन से खून का दौरा बढ़ता है और रक्त की पर्याप्त मात्रा मिलने से मस्तिष्क को पोषण मिलता है। धूम्रपान की लत को नष्ट करने के अलावा यह आसन तनाव व अवसाद दूर कर चित्त शांत करता है। एकाग्रता बढ़ती है।
इस मुद्रा से फेफड़े खुलते हैं और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह नियमित होता है। शरीर के विभिन्न भागों में लचक बढ़ाने के लिए भी यह आसन उपयोगी है। मन को शांत रखने, चिंता, अवसाद और तनाव को कम करने में भी इससे मदद मिलती है। यह आसन हड्डियों व मांसपेशियों को भी मजबूत करता है। शिशुआसनः यह मुद्रा शरीर को आराम पहुंचाती है तथा तंत्रिका तंत्र को शांत करके तनाव से राहत देती है।
भुजंगासन (कोबरा पोज)ः इस आसन से सीने की मांसपेशियों में फैलाव आता है। रक्त परिसंचरण में सुधार आता है। थकान को दूर करने के साथ-साथ यह आसन सांस की बीमारियों में भी लाभदायक सिद्ध होता है।
सहज प्राणायामः प्राणायाम धूम्रपान के जरिये शरीर पर पड़ रहे वर्षों के प्रभाव से लड़ने का एक अच्छा तरीका है। यह योग मुद्रा फेफड़ों के लिए फायदेमंद होती है।
भसीदा प्राणायामः यह प्राणायाम रक्त के स्राव में सुधार करता है, तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाता है और साथ ही सिगरेट पीने की लत से लड़ने की ताकत भी देता है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम (नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग तकनीक)ः यह प्राणायाम चिंता को कम कर, मन को शांत रखता है और नाड़ियों को संतुलित करता है। नाड़ी शोधन प्राणायाम सांस की समस्याओं के लिए चिकित्सा के तौर पर कार्य करता है और नशा मुक्ति के दुष्प्रभावों का मुकाबला करने में मदद करता है।