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इस महिला ने दिया 38 बच्चों को जन्म….

नई दिल्ली,अब तक आपने कई अजूबों के बारे में देखा और सुना होगा। अरे भई दुनिया अजूबों से भरी पड़ी है। ऐसे में अगर हम आपसे कहें कि एक महिला है, उसकी उम्र 39 साल है। ये भी ठीक है लेकिन उसके 39 बच्चे हैं। अरे झूठ नहीं सच्ची बोल रहे हैं, पढ़कर झटका लगना लाजिमी है।

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मरियम नबातांजी जब12 साल की थीं, तब उनका विवाह हुआ। एक साल बाद उन्होंने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। इसी दौरान वह डॉक्टर के पास गईं। तब पता चला कि उनका अंडाशय असामान्य रूप से बड़ा है और गर्भ निरोधक गोलियां सेहत के लिए घातक हो सकती हैं। तब नबातांजी को नहीं पता था कि शरीर की यह विकृति उसे 38 बच्चों की मां बनने पर मजबूर कर देगी। 39 साल की महिला सारे बच्चों की परवरिश खुद कर रही है, क्योंकि दो साल पहले पति ने भी उससे किनारा कर लिया।  39 साल की महिला के 38 बच्चे हैं। इसमें से 6 जोड़े जुड़वा हैं। चार बार उसके तीन-तीन बच्चे हुए, जबकि पांच बार उसने चार-चार बच्चों को जन्म दिया। एक बार ऐसा मौका भी आया, जब महिला ने छह बच्चों को एक साथ जन्म दिया। हालांकि, उनमें से कोई भी जिंदा नहीं बचा। नबातांजी अपने बच्चों के साथ कंपाला से 51 किमी उत्तर में स्थित गांव में रहती है। उसका परिवार अफ्रीका में सबसे बड़ा है।

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आखिरी बार नबातांजी ढाई साल पहले गर्भवती हुई थीं। तब उनके पेट में छह बच्चे थे। एक ने पेट में ही दम तोड़ दिया, जिसकी वजह से उनमें से कोई भी जीवित नहीं रह सका। उनका पति अक्सर घर से गायब रहता था। नबातांजी के घर में पति का नाम एक अभिशाप की तरह से लिया जाता है।  महिला का कहना है कि जीवन में उसे बहुत सारे दुख झेलने पड़े। पति ने काफी परेशान किया। उनका कहना है कि अब परिवार की देखभाल ही उनकी दिनचर्या है। पैसा कमाने के साथ उन्हें खुद ही सारे बच्चों की देखभाल करनी होती है। पैसा कमाने के लिए उन्हें हेयरड्रेसिंग से लेकर कबाड़ बेचने तक का काम करना पड़ा रहा है।

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नबातांजी का कहना है कि ज्यादा बच्चे होने के लिए उसका बीता समय जिम्मेदार है। उनके जन्म के तीन दिनों के बाद मां छोड़कर चली गई। पिता ने फिर से शादी की। सौतेली मां ने सभी बच्चों के खाने में कांच का गिलास तोड़कर मिला दिया। उसके भाई-बहन मारे गए और वह किसी तरह से अपनी जान बचा सकी। तब वह सात साल की थी।  उसने एक रिश्तेदार के घर पर शरण ली। तब उसके मन में ख्याल था कि वह छह बच्चों को जन्म देकर फिर से परिवार को बनाएगी। लेकिन बड़े परिवार को संभालना हंसी खेल नहीं है। नबातांजी का कहना है कि अब एक ही ख्वाब है कि बच्चे जल्दी अपने पैरों पर खड़े हो जाएं। उन्हें उन दुश्वारियों का सामना न करना पड़े, जिनसे लड़ने में उनका सारा जीवन बीत गया।  नबातांजी की सबसे बड़ी संतान 23 साल की है। उनके बेटे किबुका का कहना है कि वह अपनी मां की हरसंभव मदद करते हैं, लेकिन सारे परिवार का बोझ उन्होंने अपने कंधों पर उठा रखा है। किबुका सेकेंडरी स्कूल से आगे पढ़ाई नहीं कर सका, क्योंकि घर में पैसों का अभाव था।

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