जब हम उंगलियां चटकाते हैं उस समय हम वास्तव में इन जोड़ों को खींच रहे होते हैं और इस तरह हडि्डयों को एक-दूसरे से दूर खींचते हैं। ऎसे में आपस में जुड़ी हडि्डयां दूर होती हैं और जोड़ के भीतर का दबाव भी कम होता है। घुटने, कोहनी और उंगलियों के जोड़ों में एक विशेष प्रकार का द्रव पाया जाता है जो दो हडि्डयों के जोड़ पर ग्रीस के जैसे काम करता है और हडि्डयों को आपस मे रगड़ खाने से रोकता है। जोड़ों पर दबाव के कम होने से इस विशेष प्रकार द्रव में मौजूद गैस जैसे कार्बन डाई आक्साइड नए बने खाली स्थान को भरने का काम करती है और ऎसे में द्रव में बुलबुले बन जाते हैं।
जब हम जोड़ों को काफी अधिक खींचते हैं तो दबाव कम होने से यह बुलबुले फूट जाते हैं और हड्डी चटकने की आवाज आती है। एक बार जोड़ों पर बने इन बुलबुलों के फूटने के बाद द्रव में दोबारा गैस के घुलने में 15 से 30 मिनट का समय लगता है इसी कारण हाल ही में चटकाए गए जोड़ को तुरंत दोबारा चटकाने से आवाज नहीं आती। यह समझा जाता है कि जोड़ों के बार-बार खिचाव से पकड़ कमजोर हो सकती है और हडि्डयों के जोड़ पर मौजूद ऊतक नष्ट भी हो सकते हैं।
आप गठिया जैसी खतरनाक बीमारी को आमंत्रण दे रहे हैं। गठिया रोग में हडि्डयां कमजोर हो जाती हैं और इनमें असहनीय दर्द होने लगता है। हडि्डयां कमजोर हो जाती हैं। दुनिया भर में गठिया रोग के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। आमतौर पर यह बीमारी बुजुर्गों में ज्यादा होती है लेकिन उंगलियां और हड्डियां चटकाने वाले जल्द ही इसकी चपेट में आ जाते हैं।