उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या 50 फीसद पहुंचाने के लिये मिल कर काम करना होगा: आनंदीबेन पटेल
कानपुर, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत वर्ष 2030 तक उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों की संख्या 50 प्रतिशत तक पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए माता-पिता, ग्राम प्रधान, शिक्षक, अधिकारी और समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर कार्य करना होगा।
राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती पटेल की अध्यक्षता में बुधवार को वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई सभागार में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर का 40वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर कुलाधिपति ने विद्यार्थियों को कुल 1,02,536 उपाधियाँ प्रदान की, जिनमें 56,993 छात्रायें और 45,543 छात्र शामिल रहे। आँकड़ों के अनुसार इस बार छात्राओं ने हर स्तर पर अग्रणी भूमिका निभाई है। 97 पदक प्रदान किए गए तथा 75 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई, जिनमें 50 महिलाएँ और 25 पुरुष शामिल रहे। समारोह में सभी उपाधियाँ एवं अंक तालिकाएँ डिजिटल रूप से डिजिलॉकर में अपलोड की गईं।
आनंदीबेन पटेल ने उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुये कहा कि यह सफलता उनकी मेहनत और समर्पण का परिणाम है। साथ ही उन्होंने उन विद्यार्थियों को भी प्रोत्साहित किया जिन्हें पुरस्कार नहीं मिला और कहा कि पढ़ाई, नवाचार और शोध करने वाला हर छात्र वास्तव में अवार्डी है। उन्होंने छात्रों के अभिभावकों को भी बधाई देते हुए कहा कि बच्चों की सफलता के पीछे माता-पिता के त्याग और परिश्रम की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वे अपने बच्चों के सपनों को साकार करने के लिए अपने सपनों का त्याग करते हैं। इस गौरवमयी अवसर का श्रेय माता-पिता को भी जाता है।
राज्यपाल ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि इसके लिए पर्यावरण का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। जल, वायु, वृक्ष और प्रकृति की सुरक्षा भावी पीढ़ियों के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि बच्चों को भी इसमें भागीदार बनाना होगा क्योंकि यही बच्चे भविष्य में देश का नेतृत्व करेंगे। इस दिशा में केजी से पीजी तक का शैक्षिक सर्किल बनाना होगा और इसी उद्देश्य से प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय पाँच-पाँच गाँव गोद ले चुके हैं।
विद्यार्थियों से लाइब्रेरी में समय बिताने का आह्वान करते हुये उन्होंने कहा कि पुस्तकालय ज्ञान का भंडार है जहाँ से हमारी धरोहरों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। इसी उद्देश्य से राजभवन द्वारा विद्यार्थियों को पुस्तकों का उपहार भी दिया गया है। बच्चों की प्रतिभा को निखारना तथा विद्यालयों में विज्ञान और खेल को बढ़ावा देना समय की आवश्यकता है। उन्होने छात्रों से समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों की सेवा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र गाँवों में प्रवास करें और वहाँ के जरूरतमंदों की सहायता करें। यही शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य है।
उन्होंने कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि 9 से 16 वर्ष की बच्चियों को यह वैक्सीन देकर उन्हें गर्भाशय ग्रीवा कैंसर जैसी महामारी से सुरक्षित किया जा सकता है। पूरे प्रदेश में किशोरियों को यह वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि भविष्य में वे स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जी सकें।
इस अवसर पर राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परिसर में आठ नये प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास तथा चार प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन/लोकार्पण किया। साथ ही अनुभावात्मक वैज्ञानिक अन्वेषण हेतु अगली पीढ़ी की ए.आर.वी.आर. सिमुलेशन लैब और प्रधानमंत्री उच्च शिक्षा अभियान योजना के अंतर्गत स्थापित सुपर कंप्यूटिंग हब फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उद्घाटन किया।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि उपाधि प्राप्त करने के बाद वे नवजीवन में प्रवेश करेंगे। सभी छात्र राष्ट्र चेतना जगाएँ, सामाजिक सरोकारों से जुड़ें और अपने कृतित्व से विकसित भारत के लक्ष्य में योगदान दें।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्रीमती रजनी तिवारी, विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, कार्यपरिषद एवं विद्यापरिषद के सदस्य, संकायाध्यक्ष, शिक्षकगण, अभिभावकगण, विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएँ, जिला प्रशासन के अधिकारी एवं अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे।