मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गयी। प्रस्ताव के अनुसार उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग अब वाहनों का मैन्युअल फिटनेस टेस्ट नहीं करेगा।
गौरतलब है कि 10 साल पुराने डीजल वाहनों, 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों और बड़े व्यवसायिक वाहनों को परिवहन विभाग से फिटनेस टेस्ट कराने के बाद ही सड़क पर चलाने की मंजूरी मिलती है। मौजूदा व्यवस्था में मैन्युअल फिटनेस टेस्ट किया जाता है।
मंत्रिपरिषद द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार परिवहन विभाग द्वारा प्रदेश के हर जिले में ऑटोमेटिक टेस्टिंग मशीन लगायी जायेगी। इस योजना पर लगभग 500 करोड़ रुपये के व्यय को मंजूरी दी गयी है। योजना के पहले चरण में हर जनपद में एक-एक ऑटोमेटिक टेस्टिंग स्टेशन (एटीएस) स्थापित किए जायेंगे।
इन्हें निजी क्षेत्र की भागीदारी से पीपीपी मोड पर हर जिले में स्थापित किया जायेगा। इससे लगभग 1500 से अधिक रोजगार के प्रत्यक्ष अवसर सृजित होंगे।