भोपाल, मध्य प्रदेश की दलित आईएएस अफसर शशि कर्णावत उत्पीड़न से परेशान होकर नौकरी छोड़ने जा रही हैं। शशि कर्णावत ने कहना है कि मैं 15 साल से संघर्ष कर रही हूं। झूठे दस्तावेजों से मुझे जेल तक भिजवाया गया। 11 जनवरी को प्रदेश सरकार के खिलाफ धरने पर बैठीं शशि कर्णावत ने कहा था कि अब मेरा मामला हाईकोर्ट में है। मैं आखिरी दम कर लड़ती रहूंगी, लेकिन सरकार के आगे झुकूंगी नहीं।”
डॉ. कर्णावत मूलत: सागर जिले के देवरी की रहने वाली हैं। वह 1999 बैच की मप्र कैडर की हैं। 1983 से मंडला, कटनी और डिंडोरी में डिप्टी कलेक्टर व एडिशनल कलेक्टर रहीं। अब तक की 33 साल की सेवा में करीब 14 साल एडीएम के पोस्ट पर रहीं। 27 सितंबर 2013 को सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। उस वक्त वे यूथ एंड स्पोर्ट वेलफेयर डिपार्टमेंट में डिप्टी सेक्रेटरी थीं।
डॉ. कर्णावत मूलत: सागर जिले के देवरी की रहने वाली हैं। वह 1999 बैच की मप्र कैडर की हैं। 1983 से मंडला, कटनी और डिंडोरी में डिप्टी कलेक्टर व एडिशनल कलेक्टर रहीं। अब तक की 33 साल की सेवा में करीब 14 साल एडीएम के पोस्ट पर रहीं। 27 सितंबर 2013 को सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। उस वक्त वे यूथ एंड स्पोर्ट वेलफेयर डिपार्टमेंट में डिप्टी सेक्रेटरी थीं।
कर्णावत को मंडला की स्पेशल कोर्ट ने 27 सितंबर 2013 को जिला पंचायत में वर्ष 1999-2000 में हुए प्रिंटिंग घोटाले में दोषी पाया था और 5 साल की सजा सुनाते हुए 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। उन्हें जेल भी भेज गया था, बाद में कर्णावत बेल पर बाहर आ गईं। उसके बाद से सरकार डिपार्टमेंटल जांच करा रही है।